गृह मंत्रालय की शक्तियों को जानकर रह जाएंगे हैरान, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का गृह मंत्री बनना जानिए कैसे है भाजपा की बड़ी जीत
सीएम नीतीश कुमार द्वारा पहली बार गृह विभाग भाजपा को दिए जाने को राजनीतिक रूप से बड़ा संकेत माना जा रहा है। जानिए गृह विभाग की शक्तियाँ क्या क्या हैं...
Samrat Choudhary : बिहार में नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विभागों का बंटवारा कर दिया है। इस बार सबसे बड़ा और प्रभावशाली विभाग गृह मंत्रालय भाजपा के खाते में गया है और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी इसके नये प्रभारी बनाए गए हैं। बिहार की प्रशासनिक संरचना में गृह विभाग को सबसे शक्तिशाली माना जाता है, क्योंकि इसके तहत कानून-व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था, खुफिया एजेंसियां, वीआईपी सुरक्षा से लेकर नक्सल ऑपरेशन तक लगभग हर महत्वपूर्ण फैसला लिया जाता है।
सम्राट चौधरी के हाथों में क्यों आई सबसे मजबूत कुर्सी?
सीएम नीतीश कुमार द्वारा पहली बार गृह विभाग भाजपा को दिए जाने को राजनीतिक रूप से बड़ा संकेत माना जा रहा है। सम्राट चौधरी को गृह विभाग मिलने से भाजपा अब सीधे कानून-व्यवस्था, पुलिस प्रशासन और राज्य की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर नियंत्रण में होगी।
गृह विभाग की शक्तियाँ
गृह विभाग के तहत आने वाले कार्य और शक्तियां कई प्रकार की हैं. इसमें जेल प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण भी है. राज्य की सभी जेलें, कैदियों की सुरक्षा, कैदियों की श्रेणियां तय करने से लेकर जेल प्रबंधन से जुड़े सभी मामलों पर गृह विभाग की सीधी निगरानी होती है। गृह विभाग ही वीआईपी सुरक्षा Z+, Z, Y और Y+ की मंजूरी देता है. किस नेता, अधिकारी या विशिष्ट व्यक्ति को किस स्तर की सुरक्षा दी जाएगी, इसका अंतिम निर्णय सिर्फ गृह मंत्री लेते हैं।
यह विभाग राज्य में वीआईपी सुरक्षा कवच का पूरा आकलन करता है। इसी तरह इंटेलिजेंस ब्यूरो पर नियंत्रण भी गृह मंत्री के जिम्मे होता है. राज्य की सभी खुफिया एजेंसियां गृह मंत्रालय के अधीन होती हैं। दंगे, चुनावी माहौल, राजनीतिक गतिविधियां, संवेदनशील स्थितियां व वीआईपी मूवमेंट—इन सभी की इंटेलिजेंस रिपोर्ट सीधे गृह मंत्री तक पहुंचती है।
बड़े अपराध मामलों की मॉनिटरिंग
बड़े अपराध मामलों की मॉनिटरिंग भी गृह मंत्री ही करते हैं. मॉब लिंचिंग, सामूहिक हत्याएं, चुनावी हिंसा, हाई-प्रोफाइल मर्डर जैसे गंभीर अपराधों पर गृह मंत्री स्वयं नजर रखते हैं। इन मामलों में निगरानी और कार्रवाई की अंतिम जिम्मेदारी उन्हीं की होती है। साथ ही धार्मिक व बड़े सामाजिक आयोजनों में सुरक्षा प्रबंधन गृह विभाग के पास रहता है. छठ, कांवड़ यात्रा, बकरीद, पूजा, क्राउड कंट्रोल जैसे बड़े आयोजनों की सुरक्षा की पूरी प्लानिंग गृह मंत्रालय करता है। भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रमों के लिए विशेष सुरक्षा निर्देश गृह मंत्री के स्तर पर तय होते हैं।
पूरे पुलिस विभाग की कमान
कानून बनाने और संशोधन प्रस्ताव तैयार कराना भी गृह मंत्री के पास होता है. पुलिस एक्ट, जेल मैनुअल, दंगा नियंत्रण कानून, माफिया की संपत्ति जब्ती कानून—इन सभी कानूनी मसौदों का ड्राफ्ट गृह मंत्री के नेतृत्व में तैयार होता है। राज्य के कानून-व्यवस्था संबंधी ढांचे को मजबूत करने में गृह विभाग की अहम भूमिका रहती है। वहीं पूरे पुलिस विभाग की कमान गृह मंत्री के पास होती है. DGP से लेकर ADG, IG, SP, DSP तक—पूरी पुलिस संरचना सीधे गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है। हिंसा, दंगे, बड़े अपराध, भीड़ नियंत्रण, महत्वपूर्ण गिरफ्तारियों पर अंतिम निर्णय गृह मंत्री का होता है।
IPS अधिकारियों की पोस्टिंग, ट्रांसफर
IPS अधिकारियों की पोस्टिंग, ट्रांसफर और सस्पेंशन भी गृह मंत्री ही करते हैं. कौन सा SP, DIG या IG किस जिले/रेंज में रहेगा—यह निर्णय गृह मंत्री करते हैं। राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव के लिहाज से यह अधिकार सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। नक्सल, संगठित अपराध और गैंगस्टर पर कार्रवाई का संचालन भी वही करते हैं. नक्सल प्रभावित जिलों में नीति, ऑपरेशन ग्रीन हंट/सर्च ऑपरेशन, बड़े गैंगस्टरों पर CIDD, STF या SOG की कार्रवाई का फैसला भी गृह मंत्री ही देते हैं। राज्य की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े सबसे संवेदनशील निर्णय इसी विभाग के हाथ में होते हैं।