सावन में सियासत की थाली में मटन का स्वाद, तेजस्वी ने खोली NDA की आधी रात की 'दावत वाली' पोल, इन पर कसा ये तंज भारी

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में इस सावन में ‘मटन’ की ख़ुशबू ज़्यादा फैल रही है, आस्था से ज़्यादा आश्वासन और आरोपों की तलवारें चल रही हैं।...

तेजस्वी ने खोली NDA की आधी रात की 'दावत वाली' पोल- फोटो : social Media

Bihar Politics: बिहार की सियासत में इन दिनों मटन पार्टी नया राजनीतिक मसला बन चुकी है। सावन के पवित्र महीने में जहाँ आमजन व्रत और संयम का पालन कर रहे हैं, वहीं सत्ता के गलियारों से मटन की खुशबू उठ रही है। और अब इस खुशबू में सियासी तंज़ और तकरार की तेज़ मिर्ची भी पड़ गई है।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि सोमवार को पटना स्थित विधानसभा के विस्तारित भवन में एनडीए की जो बैठक हुई, उसमें सिर्फ़ रणनीति नहीं बनी, बल्कि मटन चाप का भी भरपूर लुत्फ़ उठाया गया। तेजस्वी ने इस संदर्भ में एक वीडियो अपने एक्स अकाउंट पर साझा किया और प्रधानमंत्री मोदी समेत भाजपा नेताओं पर तीखा हमला बोला।तेजस्वी यादव ने लिखा है कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के असीम आशीर्वाद और कृपा से सावन के सोमवारी को दबा कर मटन चापते बीजेपी के मंत्री और विधायक। मोदी जी की कैबिनेट में बिहार से तीन ऐसे मंत्री हैं जो सावन में भी प्रतिदिन 3 किलो मटन खाते हैं, लेकिन दिखावटी तौर पर सनातन पर लंबा चौड़ा ज्ञान देते हैं।"

तेजस्वी ने इस पोस्ट के ज़रिये यह सवाल भी उठाया कि आख़िर प्रधानमंत्री इतने सिलेक्टिव क्यों हैं? उन्होंने तंज़ कसते हुए लिखा कि "हमें किसी के खाने से कोई आपत्ति नहीं, लेकिन प्रधानमंत्री जी को सावन में अपनी पार्टी के नेताओं का मटन खाना अच्छा लगता है, जबकि विपक्ष के शाकाहारी भोजन को भी झूठ के सहारे विवाद बना देते हैं।"

तेजस्वी के इस कटाक्ष ने सत्ता पक्ष को असहज कर दिया है। हालांकि एनडीए खेमे की ओर से इस दावे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अंदरखाने हलचल ज़रूर है।

इस पूरे मसले के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए विधायकों को स्पष्ट निर्देश दिया कि विपक्ष के हर आरोप का माकूल जवाब दिया जाए और फैलाए जा रहे अफवाहों से सतर्क रहा जाए।

बिहार की राजनीति में अब भोजन भी बयानों का हिस्सा बन चुका है  जहां प्लेट पर मटन, और जुबान पर तंज परोसे जा रहे हैं। सावन के इस मौसम में सियासत की थाली एक बार फिर गरमा गई है।