Bihar News: बिहार में भ्रष्ट अफसरों पर अब होगी बड़ी कार्रवाई, जांच आयुक्त निदेशालय का हुआ गठन, जानिए कैसे करेगा काम....

Bihar News: बिहार में अब भ्रष्ट अफसरों पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए जांच आयुक्त निदेशालय का गठन किया गया। पढ़िए आगे...

nitish government
nitish government big action- फोटो : social media

Bihar News: बिहार सरकार ने राज्य में भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए मुख्य जांच आयुक्त निदेशालय की स्थापना की है। यह निदेशालय सामान्य प्रशासन विभाग से संबद्ध होगा, लेकिन एक स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करेगा। इसके गठन को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने संकल्प जारी कर दिया है। संकल्प के अनुसार, मुख्य सचिव स्तर के कार्यरत या सेवानिवृत्त अधिकारी को महानिदेशक सह मुख्य जांच आयुक्त नियुक्त किया जाएगा। महानिदेशक को विभागाध्यक्ष के समान शक्तियां प्राप्त होंगी।

संरचना और पदाधिकारियों की भूमिका 

प्रमंडल स्तर पर संयुक्त आयुक्त (विभागीय जांच) नियुक्त होंगे। जिला स्तर पर अपर समाहर्ता (विभागीय जांच) नोडल पदाधिकारी होंगे। सभी विभागों में संयुक्त सचिव स्तर से ऊपर के एक अधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया जाएगा। मुख्य जांच आयुक्त की नियुक्ति राज्य सरकार करेगी, जिसकी कार्य अवधि 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु (जो पहले हो) तक होगी।

अनुशासनिक प्रक्रिया को त्रुटिहीन बनाने पर जोर

सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार, अनुशासनिक कार्यवाही में होने वाली त्रुटियों के कारण सरकार को कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इस समस्या के समाधान के लिए इस निदेशालय का गठन किया गया है। इसके माध्यम से अनुशासनिक कार्रवाई की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सुचारू और त्रुटिहीन बनाया जाएगा। साथ ही, इस पर समुचित निगरानी और समयबद्ध निरीक्षण सुनिश्चित किया जाएगा।

सरकारी सेवक नियमावली के तहत कार्य

मुख्य जांच आयुक्त निदेशालय का प्रमुख दायित्व बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2005 के तहत प्रशासनिक जांच प्रक्रियाओं की समीक्षा, निगरानी, निरीक्षण और प्रशिक्षण की व्यवस्था करना होगा। मुख्य जांच आयुक्त या जांच आयुक्त को नियमों के अनुसार कार्रवाई संचालित करनी होगी और तय समय सीमा में अनुशासनिक प्राधिकार को जांच रिपोर्ट सौंपनी होगी।

किन मामलों की होगी जांच?

मुख्य जांच आयुक्त को वेतन स्तर-9 या इससे ऊपर के अधिकारियों के खिलाफ गंभीर कदाचार, बेईमानी और गबन से जुड़े मामलों की जांच सौंपी जाएगी। अपर सचिव या इससे उच्च स्तर के अधिकारियों के खिलाफ सामान्य आरोपों के मामलों को भी मुख्य जांच आयुक्त को सौंपा जा सकता है। विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार उचित कारण अंकित करते हुए किसी भी मामले को जांच के लिए मुख्य जांच आयुक्त को सौंप सकती है। इस नए निदेशालय के गठन से राज्य में भ्रष्टाचार और कदाचार के मामलों पर कड़ी निगरानी और प्रभावी कार्रवाई संभव हो सकेगी।

Editor's Picks