बिहार में चिकित्सा शिक्षा निदेशालय का गठन कर भूल गयी नीतीश सरकार, न कुर्सी न कर्मचारी, 111 के बदले केवल निदेशक प्रमुख की हुई नियुक्ति

स्वास्थ्य विभाग ने निदेशालय के निदेशक प्रमुख की नियुक्ति भले ही हो गई हो लेकिन निदेशालय में न कुर्सी है और ना ही कोई कर्मचारी जिसके सहारे यहां काम किया जाए.

Directorate of Medical Education in Bihar- फोटो : news4nation

PATNA : बिहार में स्वास्थ्य विभाग का अनोखा कारनामा आये दिन चर्चा में रहता है। कहीं मोबाइल की रौशनी में डॉक्टर ऑपरेशन करते हैं तो कहीं थोड़ी से बरसात के बाद अस्पतालों में पानी प्रवेश कर जाता है। ऐसा ही मामला विभाग की ओर से गठित चिकित्सा शिक्षा निदेशालय का है। जिसका गठन नीतीश कैबिनेट की मंजूरी के बाद किया गया। लेकिन आज कई साल गुजरने के बाद स्थिति यह है की इस निदेशालय का न ही कोई स्थायी कार्यालय है और न ही निदेशालय के लिए सृजित पदों पर किसी की नियुक्ति की गयी। जबकि निदेशालय के लिए 111 पदाधिकारियों का प्रावधान किया गया है। वहीँ इनके वेतन के रूप में 8 करोड़ 28 लाख 38 हज़ार 364 रूपये का प्रावधान है। 

फ़िलहाल स्वास्थ्य विभाग ने निदेशालय के निदेशक प्रमुख के रूप में डॉ. नरेन्द्र प्रताप सिंह को नियुक्त किया है। जिन्होंने अपना कार्यभार तो संभाल लिया है। लेकिन फिलहाल वे पोस्ट इन घोस्ट के रूप में काम कर रहे हैं। न उनके साथ कोई अधिकारी है और न ही उनके लिए बैठने की कोई जगह। 

कौन हैं डॉ नरेन्द्र प्रताप सिंह 

चिकित्सा शिक्षा निदेशालय का निदेशक प्रमुख बनाये जाने के पहले डॉ नरेन्द्र प्रताप सिंह पटना मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापक सह विभागाध्यक्ष मनोरोग विभाग के रूप में कार्यरत थे। वरीयता क्रम में सबसे ऊपर रहने के बावजूद उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज का प्राचार्य नहीं बनाया गया। स्वास्थ्य विभाग की मनमानी सामने आने के बाद उन्हें निदेशक प्रमुख, मानसिक रोग, आपदा प्रबंधन, खाद्य एवं औषधि नियंत्रण के पद पर कर दिया गया। अभी उन्होंने इस पद पर ज्वाइन भी नहीं किया तब तक तबादले में संशोधन कर उन्हें चिकित्सा शिक्षा निदेशालय में निदेशक प्रमुख बना दिया गया। लेकिन यह निदेशालय ही अपनी क्रियाशीलता भी बाट जोह रहा है। 

चिकित्सा शिक्षा निदेशालय का कार्य 

निदेशालय पर कुशल, योग्य एवं Caring चिकित्सकों को तैयार करने के लिए चिकित्सा शिक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों को विकसित किये जाने, चिकित्सा शिक्षा पर वर्त्तमान एवं भविष्य के श्रेष्ठ चिकित्सकों, चिकित्सक शिक्षकों एवं विभिन्न तकनीकी कर्मियों को तैयार करने की जिम्मेवारी है। बिहार विभाजन के समय राज्य में मात्र 06 चिकित्सा महाविद्यालय थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 09 हो चुकी है। सात निश्चय एवं अन्य योजनाओं के अन्तर्गत 12 नये चिकित्सा महाविद्यालयों, 16 बी०एस०सी० नर्सिंग कॉलेज, 54 ए०एन०एम०, 23 जी०एन०एम० एवं 33 पारा मेडिकल नये संस्थानों की स्थापना की जा रही है। इससे चिकित्सा शिक्षा प्रक्षेत्र का विकास, प्रबंधन, गुणवत्ता नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। 

इसके मद्देनजर चिकित्सा शिक्षा प्रक्षेत्र के सम्यक् विकास प्रबंधन, गुणवत्ता नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण के लिए अलग से चिकित्सा शिक्षा निदेशालय का गठन किया गया है। इस निदेशालय के अन्तर्गत राज्य के सभी चिकित्सा शिक्षा संस्थान (नर्सिंग को छोड़कर), इनके साथ संलग्न चिकित्सा संस्थान (अस्पताल) एवं अन्य सुपरस्पेशलिटी / टर्शियरी केयर अस्पताल (यथा-आई०जी०आई०सी०/ आई०जी०आई०एम०एस० आदि) है।