Bihar News : पटना हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक सहित 23 आरोपियों को सरेंडर करने का दिया आदेश, जानिए क्या है पूरा मामला

PATNA : पटना हाई कोर्ट ने अपहरण व हत्या के मामले में सीपीआई (माले) के पूर्व विधायक मनोज मंजिल सहित 23 आरोपियों की ओर से दायर आपराधिक अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने 72 पन्ने के निर्णय में आरा सिविल कोर्ट के एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए सभी 23 आरोपियों को एक सप्ताह के भीतर आरा कोर्ट में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। साथ ही जमानत पर चल रहे सभी आरोपियों का जमानत रद्द कर दिया। 

जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ ने 23 आरोपियों की ओर से दायर तीन आपराधिक अपील पर सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुनाया।

गौरतलब है कि सूचक चंदन सिंह के  लिखित शिकायत पर अजीमाबाद थाना में कांड संख्या 51/2015 दर्ज की गई थी।आरोप लगाया गया कि पार्टी के आम सभा के बाद घर लौटते समय सूचक के पिता जेपी सिंह को अगड़ी जाति के होने के कारण सभी नामजद अभियुक्तों ने पकड़ कर जान मारने की नीयत से लाठी, डंडा, ईट और पत्थर से मारने लगे। जिस कारण घटना स्थल पर ही उनकी मौत हो गई। और अपने साथ शव को लेकर चले गए। बाद में पुलिस ने शव को बरामद किया। आरा सिविल कोर्ट के एमपी-एमएलए कोर्ट ने गत वर्ष 13 फरवरी को सभी को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई।

इस मामले को लेकर भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने उच्च न्यायालय के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह फैसला राजनीतिक दवाब में लिया गया प्रतीत होता है। जिस मामले में मनोज मंजिल और हमारे अन्य साथियों को सजा हुई थी, उसमें सबको गलत तरीके से फंसाया गया था। यहां तक कि जिस व्यक्ति की हत्या का आरोप इन लोगों पर है, उस व्यक्ति की लाश भी बरामद नहीं हुई थी। फिर भी सबको उम्र कैद की सजा दे दी गई थी। माले राज्य सचिव ने कहा कि बिहार व भोजपुर की जनता से अपील करते हैं कि गरीबों के नेताओं को साजिश के तहत सजा कराने वाली ताकतों को आने वाले चुनाव में पुरजोर तरीके से सबक सिखाएं और न्याय का संघर्ष जारी रखें।