Patna High Court Dicision : बिहार के सीनियर IPS विवेक कुमार पर पटना हाइकोर्ट का बड़ा फैसला, सास और ससुर को लेकर भी सुनाया फैसला...

Patna High Court Dicision : बिहार के सीनियर IPS विवेक कुमार पर पटना हाइकोर्ट का बड़ा फैसला, सास और ससुर को लेकर भी सुनाया फैसला...

PATNA : पटना हाई कोर्ट ने मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एसएसपी विवेक कुमार की  सास उमा रानी कर्णवाल और ससुर वेद प्रकाश कर्णवाल के खिलाफ आय से अधिक सम्पति को लेकर विशेष निगरानी इकाई में दर्ज केस संख्या 2/18 को निरस्त कर दिया। जस्टिस चंद्र शेखर झा ने आईपीएस अधिकारी के सास ससुर की ओर से दायर याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद मामलें को निरस्त कर दिया। आवेदकों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि विशेष निगरानी इकाई के डीएसपी राम राज्य शर्मा के लिखित रिपोर्ट पर 2007 बैच के आईपीएस अधिकारी के खिलाफ आय से अधिक चल अचल सम्पति अर्जित करने को लेकर एक मामला दर्ज किया गया। इसमें ये कहा गया कि मुज्जफरपुर के तत्कालीन एसएसपी विवेक कुमार ने आय से अधिक का सम्पत्ति  अर्जित की है। 

ये आरोप लगाया गया कि आईपीएस अधिकारी ने अपनी पत्नी, सास,ससुर,साला और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम से यूपी के मुजफ्फरनगर में चल अचल संपत्ति की खरीद की है। जबकि उनकी आय इतनी नहीं थी कि इतनी ज्यादा संपत्ति अर्जित कर सकें। उनका कहना था कि केस दर्ज होने के बाद इस केस के जांच अधिकारी ने मामले को आयकर विभाग को भेज दिया। ताकि पता लगाया जा सके कि एफआईआर में  लगाए गए आरोप आय के अनुसार वास्तविक हैं या नहीं। इसके बाद आयकर विभाग ने आरोपी व्यक्तियों को दोषमुक्त करार दिया। उनका कहना था कि आयकर विभाग की रिपोर्ट को जानबूझकर केस डायरी का हिस्सा नहीं बनाया गया। आवेदकों को उत्पीड़न के दृष्टिकोण के उद्देश्य से बिना कोई कारण बताए आरोप-पत्र दाखिल कर दिया गया। यहां तक कि जांच के दौरान कोई भी आपत्तिजनक सामग्री नहीं पाया गया।

 उनका कहना था कि आयकर विभाग के रिपोर्ट को ट्रायल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। इस कारण आवेदकों के खिलाफ संज्ञान आदेश पारित किया गया। यही नहीं एसवीयू को उत्तर देने के लिए प्रश्नावली की मांग की गई।  लेकिन आईओ ने आवेदकों को कोई प्रश्नावली नहीं भेजी, ताकि वे एसवीयू के प्रश्न का उत्तर दे सकें। उन्होंने कोर्ट को बताया गया कि आईपीएस अधिकारी विवेक कुमार  विभागीय कार्यवाही से दोषमुक्त हो गये है। मेरठ के आयकर विभाग ने  छह वित्तीय वर्षों के पुनर्मूल्यांकन के बाद आय के संबंध में कोई अनियमितता नहीं पाई। कोर्ट ने संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया।

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