Bihar Flood Alert: बिहार में बाढ़ का खौफ, उफान पर गंगा, बक्सर से भागलपुर तक के जिलों में 24 घंटे के लिए अलर्ट हो गया जारी

Bihar Flood Alert: गंगा नदी एक बार फिर उफान पर है, और बक्सर से भागलपुर तक के जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति की आहट सुनाई देने लगी है।

त्राहिमाम गंगे...- फोटो : social Media

Bihar Flood Alert: गंगा नदी एक बार फिर उफान पर है, और बक्सर से भागलपुर तक के जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति की आहट सुनाई देने लगी है। केंद्रीय जल आयोग और जल संसाधन विभाग ने चेतावनी जारी की है कि अगले 24 से 48 घंटों में गंगा का जलस्तर खतरनाक तरीके से बढ़ सकता है। हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रही मूसलाधार बारिश और बादल फटने की घटनाओं का असर अब बिहार की धरती पर दिखने लगा है।

बुधवार को बक्सर में गंगा का जलस्तर 1.66 मीटर बढ़ गया, जो सीधे हिमाचल से आने वाले पानी का प्रभाव है। दीघा घाट, गांधी घाट, हाथीदह, मुंगेर, सुल्तानगंज, भागलपुर और कहलगांव में भी जलस्तर बढ़ने की आशंका है। जल संसाधन विभाग के अभियंताओं को सभी तटबंधों पर चौकसी बढ़ाने और आवश्यक तैयारी रखने के निर्देश दिए गए हैं।

पिछले 24 घंटों में गंगा के जलस्तर में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। पटना के दीघा घाट: +27 सेमी की बढोत्तरी हुई है तो गांधी घाट: +19 सेमी की बढोत्तरी हुई है.वहीं हाथीदह: +16 सेमी की बढोत्तरी हुई है .मुंगेर की बात करें तो यहां गंगी के जलस्तर में +12 सेमी की बढोत्तरी हुई है वहीं भागलपुर: में +8 सेमी तो कहलगांव: +10 सेमी की बढोत्तरी हुई है ।इन आँकड़ों ने सरकारी अमले की चिंता बढ़ा दी है। कार्यपालक अभियंता आदित्य प्रकाश ने स्पष्ट किया है कि गंगा की स्थिति पर चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है।

बक्सर जिले के ब्रह्मपुर प्रखंड के प्रबोध डेरा गांव में गंगा का पानी बढ़ने के साथ ही भयानक कटाव शुरू हो चुका है। तीन हजार की आबादी वाला यह गांव पिछले दस वर्षों से कटाव की चपेट में है, लेकिन अब स्थिति भयावह होती जा रही है। बुधवार की शाम, ग्रामीण गंगा किनारे खड़े होकर कटाव की विभीषिका को देख रहे थे  तेज धारा तट से टकरा रही थी, और बार-बार की टक्कर से मिट्टी धसक कर नदी में समा रही थी।गंगा का बढ़ता जलस्तर, कमजोर तटबंध और विभागीय लापरवाही मिलकर एक बड़े संकट की पटकथा लिख रहे हैं। ग्रामीणों की आशंका है कि अगर समय रहते हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो जल्द ही उनके घर-आंगन भी गंगा में समा जाएंगे।

अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन चेतावनी को आपदा में बदलने से पहले जागेगा?या फिर हर साल की तरह गंगा फिर अपने ‘हक’ की ज़मीन ले जाएगी, और सरकार फिर राहत शिविरों में तंबुओं की गिनती करेगी?