Pregnancy tests: प्रेग्नेंसी की शुरुआत में ये जांच नहीं करवाई तो बढ़ सकता है बच्चे की बीमारी का खतरा, जानें जरूरी बात
Pregnancy tests: प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में NT स्कैन, ब्लड टेस्ट और फोलिक एसिड लेना क्यों जरूरी है, जानिए गायनेकोलॉजिस्ट की अहम सलाह।
Pregnancy tests: प्रेग्नेंसी का समय किसी भी महिला के जीवन का सबसे संवेदनशील दौर होता है। इस दौरान सिर्फ खानपान ही नहीं, बल्कि सही समय पर कराई गई मेडिकल जांचें भी मां और गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत तय करती हैं। शुरुआती महीनों में की गई जांचों से यह पता लगाया जा सकता है कि बच्चे की ग्रोथ सामान्य है या नहीं, किसी जन्मजात बीमारी का खतरा तो नहीं है और मां को कोई ऐसी समस्या तो नहीं जो आगे चलकर परेशानी बन सकती है।गायनेकोलॉजिस्ट के अनुसार प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने बेहद अहम होते हैं। इसी दौरान कुछ ऐसी जांचें होती हैं, जिन्हें अगर नजरअंदाज कर दिया जाए तो बाद में पछतावे के अलावा कुछ नहीं बचता।
11 से 13 हफ्ते के बीच किया जाने वाला NT स्कैन
एक्पर्ट्स बताते हैं कि प्रेग्नेंसी के 11 से 13 हफ्ते के बीच किया जाने वाला NT स्कैन सबसे जरूरी जांचों में से एक है। यह एक खास तरह का अल्ट्रासाउंड होता है, जिससे बच्चे के गले के पीछे मौजूद तरल पदार्थ की मोटाई मापी जाती है। इसी के आधार पर डॉक्टर यह अंदाजा लगाते हैं कि बच्चे में डाउन सिंड्रोम या किसी अन्य क्रोमोसोमल समस्या का खतरा तो नहीं है। कई बार महिलाएं इस स्कैन को मामूली समझकर टाल देती हैं या समय निकल जाने पर करवाती ही नहीं हैं। डॉक्टर के मुताबिक जब यह जांच समय पर नहीं होती, तो बाद में गंभीर जन्मजात समस्याएं पकड़ में नहीं आ पातीं और जब लक्षण सामने आते हैं, तब बहुत देर हो चुकी होती है।
प्रेग्नेंसी की शुरुआत में फोलिक एसिड का सेवन
प्रेग्नेंसी की शुरुआत में फोलिक एसिड का सेवन भी उतना ही जरूरी है। डॉ. गरिमा कहती हैं कि फोलिक एसिड बच्चे के दिमाग और रीढ़ की हड्डी के सही विकास में अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी होने पर न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार फोलिक एसिड की गोली रोजाना लेना बेहद जरूरी है।इसके साथ ही शुरुआती ब्लड टेस्ट भी प्रेग्नेंसी की नींव मजबूत करते हैं। इन जांचों से थायरॉइड की गड़बड़ी, प्रेग्नेंसी डायबिटीज, किसी छुपे हुए इंफेक्शन या TORCH संक्रमण जैसी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। अगर ये समस्याएं समय रहते पकड़ में आ जाएं, तो मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
फैमिली मेडिकल हिस्ट्री
डॉक्टर एक और अहम बात पर जोर देती हैं और वह है फैमिली मेडिकल हिस्ट्री। कई महिलाएं झिझक या डर के कारण अपनी पूरी पारिवारिक जानकारी डॉक्टर को नहीं बतातीं। जबकि परिवार में किसी जेनेटिक बीमारी का इतिहास, पहले हुए गर्भपात या जन्मजात रोगों की जानकारी डॉक्टर को देना बेहद जरूरी होता है। यही जानकारी आगे की जांच और इलाज की दिशा तय करती है। कुल मिलाकर, प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में की गई सही जांचें, सही दवाइयां और डॉक्टर से खुलकर बातचीत मां और बच्चे दोनों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य की नींव रखती हैं।