बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र से पहले पीएम मोदी की विपक्ष को सलाह, तारकिशोर प्रसाद ने संस्कृत में, नीतीश मिश्रा ने मैथिली में ली शपथ

Bihar Vidhan Sabha: बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आज शुरू हो गया है, वहीं देशभर में संसद का सत्र भी उसी समय प्रारंभ हुआ। सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राजनीतिक दलों को सलाह दी कि विपक्ष को हार की हताशा से बाहर आना चाहिए।

बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र से पहले पीएम मोदी की विपक्ष को सलाह- फोटो : social Media

Bihar Vidhan Sabha: बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आज शुरू हो गया है, वहीं देशभर में संसद का सत्र भी उसी समय प्रारंभ हुआ। सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राजनीतिक दलों को सलाह दी कि विपक्ष को हार की हताशा से बाहर आना चाहिए। उनका कहना था कि संसद में नारेबाजी के लिए देश में बहुत जगह है, लेकिन यहाँ नीतियों पर चर्चा होना चाहिए, न कि ड्रामा पर।

18वीं विधानसभा में सदन का गणित पूरी तरह बदल गया है। लगभग 85 फीसदी सीटों पर एनडीए विधायक हैं, जबकि विपक्ष अपने सभी सदस्यों के साथ एक ब्लॉक में बैठा है। इस बदलाव ने सदन की राजनीति को पूरी तरह नया रूप दिया है। संसदीय कार्यमंत्री विजय चौधरी ने कहा कि सरकार सदन संचालन के लिए पूरी तैयारी कर चुकी है और विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने को तैयार है।

शपथ ग्रहण की प्रक्रिया मंत्रियों से शुरू हुई। गया से प्रेम कुमार ने शपथ ली, उसके बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी शपथ ग्रहण की। पूर्व डिप्टी सीएम और कटिहार से विधायक तारकिशोर प्रसाद ने संस्कृत में शपथ ली। इसके बाद अरुण शंकर प्रसाद, विनोद नारायण झा, सुधांशु, मीना कुमारी, आसिफ़ अहमद, माधव आनंद और नीतीश मिश्रा ने मैथिली में शपथ ग्रहण किया।

सीमांचल के प्रतिनिधियों की शपथ में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता झलकती रही। आबिदुर्रहमान, कमरूल होदा, कोचाधामन से सरबर आलम, अमौर से अख्तरुल ईमान और जोकीहाट के मुर्शीद आलम ने उर्दू में शपथ ली। शपथ ग्रहण के अंत में सीमांचल के सभी विधायकों ने मिलकर “जय बिहार  जय सीमांचल” के उद्घोष से सदन का वातावरण उत्साहपूर्ण बना दिया।

इस प्रकार शपथ ग्रहण के पहले ही दिन सत्ता और विपक्ष के बीच नए समीकरण, भाषाई विविधता और सांस्कृतिक प्रतीक ने बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र को राजनीतिक और प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण बना दिया है।