Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : बूढ़ी हड्डियों में भी जान डाल देती है सियासत, उम्र के सात दशक पार कर चुके नेता युवाओं को दे रहे मात
Bihar Vidhansabha Chunav 2025 : कहते हैं की सियासत की लत ताउम्र लगी रहती है. यहीं वजह हैं की बिहार में 7 दशक की उम्र पार कर चुके नेता भी युवाओं को मात दे रहे हैं.......पढ़िए आगे
PATNA : कहते हैं की इंसान के काम करने की एक सीमा होती है। उम्र के एक पड़ाव पर आकर लोग काम करते करते थक जाते हैं या काम से उब जाते हैं। यहीं वजह हैं की सरकार अपने कर्मियों को 60 या 65 साल की उम्र में सेवानिवृत कर देती है ताकि बाकी की उम्र वे अपने परिवार के साथ गुजार सके। लेकिन कहते है की सियासत की लत ताउम्र लगी रहती है। बूढ़ी हड्डियों में सियासत के नाम पर जान आ जाती है। केवल सियासत करनेवाले नेता ही नहीं। सीनियर सिटीजन का दर्जा पा चुके लोग भी सियासत में खूब रूचि दिखाते हैं। बात जब बिहार की आती है तो यहाँ के हर चौके-चौराहे पर ‘चुनावी चौपाल’ आये दिन सज जाती है। जिसमें सीनियर सिटीजन कहीं से पीछे नहीं होते हैं।
अब बिहार विधानसभा चुनाव में मात्र कुछ महीने ही शेष बचे हैं। जिसमें युवा नेता से लेकर उम्र की सत्तर-अस्सी वसंत देख चुके नेता भी अपनी किस्मत आजमां रहे हैं। बिहार में कई ‘बुजुर्ग’ नेता युवाओं को मात देते नजर आ रहे हैं। इनमें लालू, नीतीश, विजेंद्र यादव, प्रेम कुमार, हुकुमदेव नारायण यादव, राधामोहन सिंह आदि अपने लिए या अपने परिजनों के लिए ‘जीर्ण-शीर्ण’ काया के साथ भी महारथी अर्जुन की तरह सियासी प्रत्यंचा चढ़ा रहे हैं।
सबसे पहले बात करते हैं लालू यादव की। लालू राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। कोई चुनाव नहीं लड़ते हैं। लेकिन अपनी पार्टी को जीत दिलाने और अपने बेटे तेजस्वी यादव को बिहार की कुर्सी दिलाने के लिए 77 साल की उम्र में भी एड़ी चोटी का दम लगा रहे हैं। 17 अगस्त को राहुल गाँधी की वोट अधिकार यात्रा में शामिल होने के लिए वे सासाराम पहुँच गए और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। यहीं नहीं लालू यादव ने एक तरह से कहे तो राहुल गाँधी के कार्यक्रम को पूरी तरह से अपनी तरफ मोड़ लिया। वहीँ बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में काबिज नीतीश कुमार का जन्म 1951 में हुआ था। उनकी 74 साल से अधिक उम्र हो चुकी हैं। लेकिन आज भी बिहार के कोने कोने में पहुँच जाते हैं। आये दिन बिहार के अलग अलग जिलों का दौरा करते रहते हैं।
विजेंद्र यादव की उम्र 78 साल हैं और वे वर्तमान में बिहार विधानसभा के सदस्य हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अधीन राज्य के ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री भी हैं। वे 1990 से सुपौल विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं। बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार की उम्र 70 साल हो चुकी है। फिर भी वे राजनीती में पूरी तरह सक्रिय हैं। वे गया टाउन विधानसभा क्षेत्र से आठ बार निर्वाचित होकर बिहार विधान सभा के सदस्य रह चुके हैं। मधुबनी के सांसद रह चुके हुकुमदेव नारायण यादव की उम्र 85 साल से ऊपर हो चुकी है। केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। अब चुनाव नहीं लड़ते, लेकिन बेटे की सियासी जमीन को उर्वरा बनाने के लिए सक्रिय हैं। ऐसे ही नाम अश्विनी चौबे, राधामोहन सिंह, पूर्व सांसद आर के सिंह, जगदानंद सिंह आदि का भी लिया जा सकता है। जो अपने लिए या अपने परिजनों के लिए राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।