Bihar News: 36 मामलों के आरोपित कुख्यात अपराधी का पटना में बन गया पासपोर्ट, पुलिस के कामकाज पर उठे बड़े सवाल, जानिए पूरा मामला

Bihar News: झारखंड के कुख्यात आरोपी का पटना में पासपोर्ट बन गया और तो और आरोपी के नाम 36 आपराधिक मामले दर्ज हैं लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन में भी इसका खुलासा नहीं हो सका।

कुख्यात का बना पासपोर्ट - फोटो : social media

Bihar News: बिहार के गयाजी में राजस्थान के कुख्यात ने फर्जी पते पर पासपोर्ट बनवा लिया। पासपोर्ट पटना कार्यालय से जारी भी हो गया। वहीं जब मामले का खुलासा हुआ तो अधिकारियों के होश उड़ गए। दरअसल, राजस्थान के उदयपुर जिले के नाई थाना क्षेत्र के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर दिलीप नाथ ने बिहार के गयाजी जिले के एक फर्जी पते का इस्तेमाल कर पटना पासपोर्ट कार्यालय से पासपोर्ट बनवा लिया। इस खुलासे के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

36 अपराधिक मामले दर्ज 

दिलीप नाथ पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और जमीन कब्जा जैसे कुल 36 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कई मामलों में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है। बताया जा रहा है कि तीन महीने पहले वह विदेश भागने की फिराक में था, लेकिन उदयपुर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। वहीं इस घटना के सामने आने के बाद राजस्थान से लेकर बिहार तक के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। 

गयाजी में बनवाया आधार, बैंक खाता भी खुलवाया

उदयपुर पुलिस की जांच में सामने आया कि दिलीप ने गयाजी जिले के कोठी थाना अंतर्गत विकोपुर गांव का पता इस्तेमाल करते हुए आधार कार्ड बनवाया। उसी पते पर उसने इमामगंज स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में खाता भी खुलवाया। इसके बाद इसी पते के आधार पर पटना पासपोर्ट कार्यालय से पासपोर्ट जारी करा लिया। दिलीप का पासपोर्ट 15 अप्रैल 2025 को जारी हुआ और यह 14 अप्रैल 2035 तक वैध है। दस्तावेज़ों में उसका नाम, जन्मतिथि (15 जुलाई 1987), पिता का नाम नारायणाचल, मां का नाम गंगादेवी और पत्नी का नाम मीना कुमारी दर्ज है। पासपोर्ट नंबर 102000 है।

फर्जीवाड़े में मददगार भी सामने आए

जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि फर्जी पासपोर्ट बनवाने में नारायण दास वैषार, देवेंद्र गायनरी उर्फ डेविड और मोनू उर्फ सुखा ने दिलीप की मदद की थी। उदयपुर पुलिस ने इस मामले में जीरो एफआईआर दर्ज कर केस की जांच रिपोर्ट पटना के कोतवाली थाने को भेज दी। जहां अब एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

कैसे हुआ पुलिस वेरिफिकेशन?

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि फर्जी पते पर आवेदन के बावजूद कोठी थाना पुलिस ने पासपोर्ट के लिए वेरिफिकेशन भी पूरा कर दिया। यह सवाल उठ रहा है कि एक वांछित अपराधी ने न केवल बिहार में पहचान पत्र बनवाए, बल्कि स्थानीय पुलिस से वेरिफिकेशन भी करा लिया। अनुमान है कि इसके लिए मोटी रकम खर्च की गई होगी।

पहले भी हो चुका है ऐसा मामला

यह पहला मौका नहीं है जब पटना पासपोर्ट कार्यालय से फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर पासपोर्ट जारी हुआ हो। इससे पहले 2013 में पुणे के घोड़ा व्यापारी और करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोपी हसन अली खान ने भी पटना के फर्जी पते का इस्तेमाल कर पासपोर्ट बनवाया था। उस मामले में भी कोतवाली थाने में केस दर्ज किया गया था। अब सवाल यह है कि पटना पासपोर्ट कार्यालय और संबंधित थानों में इस तरह के फर्जीवाड़े कैसे होते हैं और कब तक ऐसे अपराधी सिस्टम को चकमा देते रहेंगे?