Rohini Acharya : राजनीति से रोहिणी आचार्य की विदाई ! लालू की लाडली ने सभी राजनेताओं को किया अनफॉलो, बहन को कैसे मनाएंगे तेजस्वी?
Rohini Acharya : लालू यादव की लाडली रोहिणी आचार्य पार्टी और परिवार से नाराज चल रही हैं। रोहिणी ने सोशल मीडिया से परिवार सहित राजनीति से जुड़े सभी लोगों को अनफॉलो कर दिया है। पढ़िए आगे...
Rohini Acharya : बिहार विधानसभा चुनाव के पहले लालू परिवार में भूचाल मच गया है। पहले लालू के बेटे तेज प्रताप यादव ने बगावती सुर दिखाए तो अब लालू यादव को किडनी दान करने वाली बेटी रोहिणी आचार्य भाई पार्टी और परिवार से दूर गई है। रोहिणी ने शनिवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स को प्राइवेट करने के साथ ही परिवार के नजदीकी लोगों को भी अनफ़ॉलो कर दिया है। जब रोहिणी ने परिवार और राजद पार्टी के लोगों को अनफॉलो किया तब वो 61 लोगों को फॉलो कर रहीं थीं जिसमें परिवार से केवल मीसा भारती थी। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी, झारखंड सीएम हेंमत सोरेन, पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी, तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन सहित तमाम राजनीतिक हस्तियां थीं। लेकिन अब रोहिणी आचार्य ने सभी को अनफॉलो कर दिया है।
रोहिणी की नाराजगी
रोहिणी आचार्य अब केवल 3 लोगों को फॉलो करती हैं जिनमें एक भी राजनेता या परिवार का सदस्य नहीं है। रोहिणी केवल अपने पति शमशेर सिंह, राहत इंदौरी और द स्ट्रेट्स टाइम्स को फॉलो कर रही हैं। रोहिणी आचार्य के इस कदम से माना जा रहा है कि वो पूरी तरह राजनीति से दूरी बनाने जा रही हैं। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार रोहिणी पार्टी से इस्तीफा भी दे सकती हैं। रोहिणी आचार्य ने फिलहाल अपने अकाउंट्स को अनलॉक तो कर दिया है लेकिन उन्होंने सभी को अनफॉलो कर लिया है और राजनीति से दूरी बनाती दिख रही हैं।
कैसे शुरु हुआ विवाद
दरअसल, विवाद की शुरुआत बिहार अधिकार यात्रा के दौरान हुई, जब तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव बस की अगली सीट पर बैठे नजर आए। आरजेडी नेताओं का मानना है कि आगे की सीट शीर्ष नेतृत्व के लिए आरक्षित होती है। इस पर सोशल मीडिया यूजर आलोक कुमार की टिप्पणी को रोहिणी ने बिना कुछ लिखे अपने एक्स पर शेयर कर दिया। हालांकि, संजय यादव पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद रोहिणी ने शाम तक एक और पोस्ट कर स्थिति को संभालने की कोशिश की और दो नेताओं की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि “वंचितों और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े वर्ग को आगे लाना ही लालू यादव जी के सामाजिक-आर्थिक न्याय के अभियान का मूल मकसद है।”
तेज प्रताप भी पहले से नाराज
गौरतलब है कि संजय यादव को लेकर तेज प्रताप यादव पहले से ही विरोध जता चुके हैं। वे कई बार बिना नाम लिए ‘जयचंद’ कहकर इशारे कर चुके हैं, जिसे संजय यादव के खिलाफ माना जाता है। वहीं अब कहीं ना कहीं चुनावी माहौल में परिवार के कलह तेजस्वी यादव को परेशान कर सकते हैं। परिवारिक मतभेद के बीच तेजस्वी को चुनावी संघर्ष का भी सामना करना है। ऐसे में अब देखना होगा कि तेजस्वी क्या करते हैं।