Supreme Court On Bihar: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पर कसा तंज! कहा-'यहां मुखिया बनने के लिए क्रिमिनल केस होना जरूरी'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में मुखिया बनने के लिए आपके खिलाफ आपराधिक मामला होना जरूरी है। अदालत ने एक मुखिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

Supreme Court On Bihar: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (26 मार्च) को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की, जिसमें कहा गया कि यदि आपके खिलाफ कोई आपराधिक मामला न हो, तो आप बिहार में मुखिया का चुनाव भी नहीं जीत सकते। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एक मुखिया की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए दी।
बिहार में मुखिया चुनाव के लिए 'आपराधिक मामला' जरूरी?
मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि बिहार में एक गांव या पंचायत का मुखिया बनने के लिए यह जरूरी है कि आपके खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज हो। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकील से सवाल किया, "क्या आपके मुवक्किल के खिलाफ कोई और आपराधिक मामला दर्ज है?" इस पर वकील ने जवाब दिया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कई अन्य मामले भी दर्ज हैं और ये सभी गांव की राजनीति के चलते हुए हैं।
जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा, "बिहार में एक मुखिया होने के लिए यह आवश्यक है कि आपके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज हो।" जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने भी इस टिप्पणी का समर्थन किया और कहा कि अगर आपके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, तो आप बिहार में मुखिया बनने के योग्य नहीं हैं।
मुखिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
मामले में मुखिया के वकील ने अदालत से अग्रिम जमानत की मांग की, यह दावा करते हुए कि उनके मुवक्किल को झूठे आरोपों में फंसाया गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनके तर्क को खारिज कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "आपने गुंडों को किराए पर लिया, एक हेलमेट पहने हुए है, दूसरा टोपी पहने हुए बाइक पर है, और अब आप फंस गए हैं क्योंकि आपके खिलाफ साक्ष्य हैं।" इन तथ्यों के आधार पर, पीठ ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बिहार की ग्राम पंचायत राजनीति में आपराधिक मामलों की भूमिका पर एक बड़ा संकेत देती है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि बिहार के मुखिया पद पर चुनाव लड़ने के लिए आपके खिलाफ आपराधिक मामला होना अनिवार्य है। यह टिप्पणी बिहार में चुनावी राजनीति और आपराधिक मामलों के आपसी संबंध को उजागर करती है।