Bihar Politics: डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी से भिड़े तेजस्वी के नेता, दे दी नसीहत, कुशवाहा मंच पर हुआ जमकर टकराव

Bihar Politics: राजधानी पटना में आयोजित एक सामाजिक कार्यक्रम उस वक्त सियासी अखाड़े में तब्दील हो गया, जब बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर सुबोध मेहता आमने-सामने आ गए।

डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी से भिड़े तेजस्वी के नेता- फोटो : reporter

Bihar Politics: राजधानी पटना में आयोजित एक सामाजिक कार्यक्रम उस वक्त सियासी अखाड़े में तब्दील हो गया, जब बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर सुबोध मेहता आमने-सामने आ गए। कुशवाहा कल्याण परिषद, बिहार के तत्वावधान में आयोजित 52वां पारिवारिक मिलन समारोह सह वनभोज कार्यक्रम में कुशवाहा समाज के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के सम्मान का आयोजन था, लेकिन मंच से दिए गए बयानों ने कार्यक्रम को राजनीतिक रंग दे दिया।

मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अपने संबोधन में इसे गैर-राजनीतिक मंच बताते हुए कुशवाहा समाज की एकता और शक्ति पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज यदि संगठित होकर खड़ा हो जाए तो प्रगति को कोई रोक नहीं सकता। कुशवाहा समाज के समर्थन से ही वे उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री बने हैं और आगे समाज को सत्ता के साथ जोड़कर विकास की गति तेज की जाएगी। सम्राट चौधरी ने अप्रत्यक्ष रूप से राजद पर निशाना साधते हुए कहा कि अब “दूध में पानी मिलाकर राजनीति” नहीं चलेगी। उन्होंने सब्जी उत्पादन, भंडारण और किसानों के हित में ठोस योजनाओं की बात भी रखी।

हालांकि, असली सियासी चिंगारी तब भड़की जब राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर सुबोध मेहता मंच पर पहुंचे। उन्होंने सीधे तौर पर उपमुख्यमंत्री को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें सम्राट अशोक के नीति-सिद्धांतों के पदचिह्नों पर चलना चाहिए, न कि देश में आरएसएस का एजेंडा लागू करना चाहिए। उनके इस बयान से मंच पर सियासी तल्खी साफ झलकने लगी।

इस कार्यक्रम में पंचायती राज मंत्री दीपक प्रकाश, पटना साहिब विधायक रत्नेश कुमार, प्राणपुर विधायक निशा सिंह, हरलाखी विधायक सुधांशु शेखर, मीनापुर विधायक अजय कुशवाहा, टेकारी विधायक अजय कुमार दांगी और जगदीशपुर विधायक भगवान सिंह कुशवाहा सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

कुल मिलाकर, सामाजिक एकता के नाम पर बुलाया गया यह आयोजन सत्ता और विपक्ष के बीच वैचारिक संघर्ष का मंच बन गया, जिसने आगामी राजनीति की झलक भी दिखा दी।

रिपोर्ट- नरोत्तम कुमार सिंह