देश के पहले राष्ट्रपति का इलाज करनेवाले चिकित्सक के बंगले को फर्जी तरीके से बेचने की मंजूरी के लिए हाईकोर्ट में याचिका, कोर्ट ने कहा – समय बर्बाद मत करो
Patna - पटना हाईकोर्ट ने बेवजह याचिका दायर कर अदालती समय नष्ट करने के लिए अशोक राजपथ स्थित चौधरी मार्केट के मधुमेश चौधरी पर दस हजार रुपए का हर्जाना लगाया है। जस्टिस शैलेन्द्र सिंह की एकलपीठ ने मधुमेश की सिविल रिव्यू पेटिशन को रद्द करते हुए , याचिकाकर्ता को चार हफ्ते में हर्जाने की रकम पटना हाई कोर्ट लीगल सर्विसेज कमिटी के दफ्तर में जमा करने का निर्देश दिया है ।
गौरतलब है कि राजधानी पटना के केंद्र में स्थित डॉ टी एन बनर्जी के आवासीय बंगले को तथाकथित तौर पर धोखा से बिक्री करने की प्रक्रिया पर पटना हाई कोर्ट ने 27 फरवरी, 2025 को न्यायिक आदेश के जरिए रोक लगा दिया था।
इस रोक के आदेश को वापस लेने हेतु मधुमेश की तरफ से रिव्यू पेटिशन दायर किया गया था, जिसे जस्टिस सिंह ने खारिज कर दिया।
डॉ बनर्जी, की बेटियां अर्चना और चन्दना चैटर्जी जो कोलकाता / दिल्ली में रहती हैं, उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दायर कर उनके पैतृक आवासीय बंगले की दीवानी मुकदमे के जरिए बिक्री कराने पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। जिसे कोर्ट ने गत 27 फरवरी,2025 को मंजूर किया था ।
डॉ बनर्जी की बेटियां की तरफ से वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि डॉ बनर्जी हिंदुस्तान के नामी चिकित्सकों में एक थे। इन्होंने भारत के प्रथम राष्ट्रपति, राजेंद्र प्रसाद का इलाज किया था।
उनके बंगले के बगल से गुजरने वाली राजधानी की एक प्रमुख सड़क को भी नामित किया गया ।उनके आवासीय बंगले को मधुमेश व अन्य लोग फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दीवानी मुकदमे के जरिए बेचने की कोशिश कर रहे थे।
सीनियर एडवोकेट ने हाईकोर्ट को दर्शाया कि निचली अदालतों के रिकॉर्ड से स्पष्ट होता है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर, बनर्जी के आवासीय बंगले को हड़पने का प्रयास किया जा रहा था।
रिव्यू पेटिशन का विरोध करते हुए , वरीय अधिवक्ता अमित एवं एडवोकेट गिरीश पांडेय ने कोर्ट को बताया कि रिव्यू करने के जो तीन कानूनी आधार हैं। उनमें से एक भी आधार मधुमेश के पास नहीं है। बेतुके पेटिशन दायर कर कोर्ट के समय को नष्ट किया जा रहा है ।