Bihar News: बिहार के सबसे बड़े पुल में से एक विक्रमशिला का पिलर झुका, दीवार में दरार, कई जिले के लोगों की है लाइफलाइन, कभी भी हो सकता है हादसा !
Bihar News: बिहार के सबसे बड़े पुल में से एक विक्रमशिला का पिलर झूक गया है। पिलर के दीवार में दरार आ गई है। अगर सही समय पर मेंटेनेंस नहीं हुआ तो बड़ा हादसा हो सकता है...
![Vikramshila Vikramshila](https://cdn.news4nation.com/Cloud/news/coverimage/13Feb2025/13022025084724-0-8ea5f8aa-3854-419f-be48-759ccf281794-2025084724.jpg?width=770&format=jpg&quality=60)
Bihar News: बिहार में कब कौन सा पुल गिर जाए ये कहना मुश्किल है। एक और जहां कोसी पुल की रेलिंग 7 इंज खिसक गई है तो वहीं दूसरे ओर विक्रमशिला का पिलर भी झूक गया है। पुल के दीवार में दरार आ गई है। पुल पर तत्काल तो कोई खतरा नहीं बताया जा रहा है लेकिन कभी भी इस पुल पर बड़ा हादसा हो सकता है। दरअसल, विक्रमशिला सेतु के पियर बॉल में दरार आ गई है, जिससे दीवार सिकुड़ गई है।
समय के साथ बढ़ रहा खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह दरारें पानी के तेज दबाव के कारण बनी हैं, इसलिए समय पर इसका मेंटेनेंस जरूरी है। सेतु के कार्बन प्लेट और एक्सपेंशन ज्वाइंट में भी दरारें देखी गई हैं, जिससे समय के साथ खतरा बढ़ सकता है। यह पुल कई जिलों को जोड़ता है ऐसे में पुल पर आवागमन ठप होता है तो इससे लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
बाढ़ के प्रभाव से बढ़ रही समस्या
सेतु के पिलर के एक तरफ झुकने का मुख्य कारण बाढ़ के दौरान पानी के तेज प्रवाह से उसके नीचे मिरनी (टर्युलेस) बनना है। इसके चलते पियर बॉल के आसपास की मिट्टी कट रही है, जिससे पिलर झुका हुआ नजर आ रहा है। अभी चिंता की कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इससे एक्सपेंशन ज्वाइंट को खतरा हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो सेतु की पूरी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय को भेजी जानी चाहिए। एनएच की टीम ने भी एक्सपेंशन ज्वाइंट में करीब 10 सेमी. से अधिक की दरार दर्ज की है।
पत्राचार के बावजूद नहीं मिला जवाब
एनएच के कार्यपालक अभियंता बृजनंदन कुमार ने बताया कि लोकसभा चुनाव से पहले ही सेतु की जांच के लिए मुख्यालय को पत्र भेजा गया था। अधीक्षण अभियंता और कार्यपालक अभियंता ने कई बार अनुरोध किया, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला। पिछले महीने भी रिमाइंडर भेजा गया था, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। मुख्य अभियंता ने भी पुल निर्माण निगम को जांच कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
समय पर मेंटेनेंस कराना जरूरी
विक्रमशिला सेतु का पिछला मेंटेनेंस नौ साल पहले 2015 में हुआ था। उस समय मुंबई की रोहरा सिबिल्ड एसोसिएट्स ने बरारी की ओर स्पैन में कार्बन प्लेट चिपकाए थे। एजेंसी के इंजीनियरों ने नियमित जांच की सलाह दी थी, लेकिन बाद में इसकी स्थिति की समीक्षा नहीं की गई। पहले सेतु की देखरेख पुल निर्माण निगम के खगड़िया डिवीजन के पास थी, फिर इसे भागलपुर डिवीजन को सौंपा गया, लेकिन किसी भी स्तर पर कार्बन प्लेट की स्थिति नहीं जांची गई।
2015 में मेंटेनेंस में खर्च हुए थे 14 करोड़ रुपए
2015 में मरम्मत के दौरान 14 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। उस समय पुल के स्पैन को जैक से उठाकर मरम्मत की गई थी और एक्सपेंशन ज्वाइंट को भी ठीक किया गया था। आईआईटी दिल्ली की एक टीम ने भी पुल की जांच की थी और उसकी मजबूती को लेकर सवाल उठाए थे, जिसके बाद मरम्मत का काम किया गया। अब जरूरत है कि समय पर सेतु की जांच कर उसकी मरम्मत कराई जाए, ताकि भविष्य में कोई बड़ा हादसा न हो।