Bihar Politics: जब सोनिया गांधी के सामने अशोक चौधरी की आँखें छलक पड़ीं, राजद-कांग्रेस गठबंधन पर उठाए सवाल, सियासी हलचल तेज
नीतीश सरकार में मंत्री और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अशोक चौधरी ने एक इंटरव्यू में 2015 के राजनीतिक घटनाक्रम को उजागर करते हुए ऐसा बयान दे दिया, जिसने कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।
Bihar Politics: बिहार की सियासत में एक बार फिर से गर्म हवा चल पड़ी है। नीतीश सरकार में मंत्री और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अशोक चौधरी ने एक इंटरव्यू में 2015 के राजनीतिक घटनाक्रम को उजागर करते हुए ऐसा बयान दे दिया, जिसने कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।अशोक चौधरी ने कांग्रेस से जेडीयू में आने के सवाल पर बताया कि 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद जब कांग्रेस ने 4 से सीधे 27 सीटें जीती थीं, तो वो दिल्ली में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे। उस मुलाक़ात में उन्होंने कहा था कि कांग्रेस अगर लालू प्रसाद यादव की आरजेडी के साथ गठबंधन में रही, तो बिहार में पार्टी का वजूद कमजोर होता जाएगा।
उन्होंने यह बात इतनी शिद्दत से रखी कि भावनाओं में बहकर सोनिया गांधी के सामने रो पड़े। उस वक़्त मौजूद थे गुलाम नबी आज़ाद, सीपी जोशी और स्व. अहमद पटेल। चौधरी ने कहा, "हमने कांग्रेस को मेहनत से ज़िंदा किया, 4 से 27 सीटों पर लाए, लेकिन हमारी बात को अहमियत नहीं मिली।उन्होंने आगे कहा कि "मुझे आज तक नहीं मालूम कि सोनिया जी ने आरजेडी से समझौता क्यों किया, जबकि ज़मीनी हकीकत इसके ख़िलाफ़ थी।
अशोक चौधरी ने इस मसले को लेकर राहुल गांधी से भी संवाद किया, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ। राहुल गांधी के विज़न पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि "उनका विज़न साफ़ है, मगर उसे जमीन पर उतारने के लिए राजनीतिक सूझ-बूझ और लचीलेपन की ज़रूरत है।
इंटरव्यू के दौरान अशोक चौधरी ने नीतीश सरकार की उपलब्धियों की भी भरपूर तारीफ़ की और कहा कि सुशासन, विकास और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में नीतीश कुमार ने मिसाल क़ायम की है।उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में गहमा-गहमी तेज़ हो गई है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बयान से न केवल कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठे हैं, बल्कि आरजेडी के साथ उसके गठबंधन की प्रासंगिकता भी कटघरे में खड़ी हो गई है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस और आरजेडी की तरफ़ से क्या प्रतिक्रिया आती है, और क्या बिहार की राजनीति में एक नया समीकरण आकार लेता है।