EMI के बोझ तले दब रहे हैं? ‘40% नियम’ बना सकता है आपको कर्ज की गिरफ्त से आज़ाद!

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emi burden- फोटो : Social Media

“घर भी चाहिए, कार भी चाहिए...और स्टाइल भी बना रहना चाहिए।” आज की पीढ़ी अपनी जरूरतों और ख्वाहिशों के बीच जूझ रही है। लोन लेना अब आम बात हो गई है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हर महीने आपकी सैलरी का कितना हिस्सा सिर्फ ईएमआई में चला जाता है?

वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप चाहते हैं कि आपका बजट डगमगाए नहीं, तो ईएमआई पर नियंत्रण जरूरी है। इसके लिए अपनाएं ‘40% EMI नियम’।

क्या है ये 40% नियम?

इस नियम के अनुसार, आपकी टेक-होम सैलरी का अधिकतम 40% ही ईएमआई में जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर आपकी महीने की नेट सैलरी ₹1 लाख है, तो आपकी कुल ईएमआई ₹40,000 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसमें होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन और यहां तक कि क्रेडिट कार्ड की किस्तें भी शामिल हैं।

क्यों है ये नियम इतना जरूरी?

  1. बजट संतुलन बनाए रखता है
  2. आपात स्थिति में भी कैश फ्लो बनाए रखता है
  3. क्रेडिट स्कोर बेहतर रहता है
  4. लोन डिफॉल्ट का खतरा घटता है

विशेषज्ञ कहते हैं कि लोन लेना गलत नहीं है, लेकिन अनियंत्रित कर्ज आपकी पूरी फाइनेंशियल लाइफ को हिला सकता है।


हॉलीवुड वाली जिंदगी, लेकिन बॉलीवुड वाला बजट?

कई लोग दिखावे के चक्कर में महंगी चीजें ईएमआई पर ले लेते हैं। शुरुआत में सब कुछ अच्छा लगता है, लेकिन जब 4-5 किस्तें एक साथ आने लगती हैं, तब असलियत सामने आती है। कई मामलों में देखा गया है कि लोग 50% से ज्यादा सैलरी सिर्फ किश्तों में खर्च कर देते हैं, जिससे न बचत होती है, न निवेश — सिर्फ तनाव।

ईएमआई नहीं, आप कर्ज के मालिक बनें

‘40% ईएमआई नियम’ आपको एक संतुलित आर्थिक जीवन जीने की राह दिखाता है। इससे न सिर्फ आपकी मासिक आय में स्थिरता बनी रहती है, बल्कि आप भविष्य के लिए बचत और निवेश भी कर सकते हैं। तो अब सवाल आपसे है — क्या आप कर्ज को संभाल रहे हैं, या वो आपको संभाल रहा है? समय रहते चेतिए, नियम अपनाइए, और एक समझदार निवेशक की तरह अपने भविष्य को सुरक्षित बनाइए। क्योंकि सैलरी तो हर महीने आती है, लेकिन वित्तीय समझदारी एक उम्रभर का साथ देती है!

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