म्यूचुअल फंड निवेश में गिरावट, फरवरी में 1.47 लाख करोड़ की कमी, जानें क्या है कारण?
फरवरी 2025 के आंकड़े एक बड़ा संकेत हैं कि भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में निवेशकों के दृष्टिकोण में बदलाव आ रहा है। यह गिरावट वित्तीय बाजारों की अस्थिरता और निवेशकों के जोखिम लेने की क्षमता पर सवाल उठाती है।

भारत के वित्तीय बाजारों में बदलाव की बयार तेजी से चल रही है, और इस बार यह असर म्यूचुअल फंड निवेश पर पड़ा है। फरवरी 2025 में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश में बड़ी गिरावट देखी गई है, जो जनवरी 2025 के मुकाबले 26.1% कम हुआ है। फरवरी महीने में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 29,303 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जबकि जनवरी में यह आंकड़ा 39,687 करोड़ रुपये था। यह गिरावट न केवल निवेशकों के मनोबल को प्रभावित करती है, बल्कि वित्तीय विशेषज्ञों के लिए भी एक चेतावनी है।
फरवरी में म्यूचुअल फंड्स के कुल निवेश में बड़ी कमी
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी 2025 में सभी प्रकार की म्यूचुअल फंड स्कीम्स में कुल 40,063 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो हुआ। जनवरी में यह आंकड़ा 1.88 लाख करोड़ रुपये था। इसका मतलब है कि फरवरी में म्यूचुअल फंड्स में 1.47 लाख करोड़ रुपये की कमी आई, जो एक गंभीर संकेत हो सकता है कि निवेशकों में अनिश्चितता और जोखिम को लेकर चिंता बढ़ी है।
एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) में भी गिरावट
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) पर भी असर पड़ा है। जनवरी 2025 में म्यूचुअल फंड्स का AUM 7% गिरकर 64.53 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि दिसंबर 2024 में यह आंकड़ा 67.25 लाख करोड़ रुपये था। AUM में यह गिरावट संकेत करती है कि निवेशकों ने बड़े पैमाने पर अपनी हिस्सेदारी कम की है या म्यूचुअल फंड्स से पैसा निकाल लिया है।
क्या है इस गिरावट का कारण?
आखिरकार, फरवरी में निवेश में इस गिरावट के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? एक प्रमुख कारण हो सकता है वैश्विक और घरेलू आर्थिक अनिश्चितताएं। कोविड-19 महामारी के बाद, वैश्विक आर्थिक मंदी के संकेत और घरेलू बाजार में उतार-चढ़ाव ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है। इसके अलावा, बढ़ती महंगाई, ब्याज दरों में बदलाव और शेयर बाजार में अस्थिरता ने भी निवेशकों के आत्मविश्वास को प्रभावित किया है।
दूसरी ओर, जनवरी में म्यूचुअल फंड्स में अपेक्षाकृत अधिक निवेश देखा गया था, संभवत: नए साल की शुरुआत के साथ निवेशकों ने ताजगी महसूस की थी। लेकिन फरवरी में यह बदलाव हमें यह दिखाता है कि निवेशकों का विश्वास स्थिर नहीं रहता, और वे जब भी बाजार में अस्थिरता या आर्थिक संकट महसूस करते हैं, तो वे अपनी पूंजी को वापस खींच लेते हैं।
निवेशकों के लिए क्या होना चाहिए अगला कदम?
अब सवाल यह उठता है कि ऐसे में निवेशकों को क्या करना चाहिए? क्या यह समय है जब उन्हें म्यूचुअल फंड्स से अपना पैसा निकाल लेना चाहिए या फिर इस अस्थिरता का फायदा उठाना चाहिए? वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यदि निवेशक दीर्घकालिक लक्ष्य के लिए निवेश कर रहे हैं, तो उन्हें अस्थायी गिरावट से घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन, अगर कोई शॉर्ट टर्म निवेशक है तो उसे अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।