होम लोन का सपना बना बुरा सपना: बिल्डर्स के धोखे और EMI सबवेंशन प्लान ने घर खरीदारों को कैसे फंसाया
होम लोन और ईएमआई सबवेंशन प्लान जैसे प्रस्तावों को समझदारी से चुनना बेहद जरूरी है।

भारत में अपना घर खरीदने का सपना लगभग हर व्यक्ति देखता है। यह जीवन की सबसे बड़ी और महंगी खरीदारी मानी जाती है, और इसी कारण से बचत और कर्ज के बीच एक निरंतर खींचतान रहती है। ज्यादातर लोग अपनी पूरी जिंदगी का सबसे बड़ा निवेश करने के लिए होम लोन का सहारा लेते हैं, ताकि जल्दी से अपना घर खरीद सकें। लेकिन क्या होगा जब वही होम लोन और ईएमआई सबवेंशन प्लान (EMI Subvention Plan) आपके लिए एक सपना नहीं, बल्कि एक बुरा सपना बन जाए? यही हाल दिल्ली-एनसीआर के कई घर खरीदारों के साथ हुआ है, जिन्होंने अपनी जिंदगी का बड़ा कदम उठाते हुए इन योजनाओं में निवेश किया, लेकिन नतीजा उनके लिए कुछ और ही निकला।
ईएमआई सबवेंशन प्लान: एक आसान सौदा या धोखा?
साल 2015-16 में जब बिल्डर्स और रियल एस्टेट डेवलपर्स ने ईएमआई सबवेंशन प्लान को लॉन्च किया, तो इसे घर खरीदने का एक सुरक्षित और आसान तरीका माना गया। इस योजना में डेवलपर खुद लोन का भुगतान करता था और कब्जे तक खरीदार को कोई ईएमआई नहीं देनी होती थी। इसके बाद, जब खरीदार को अपना घर मिल जाता था, तो उसे नियमित ईएमआई देनी शुरू होती थी। यह योजना उस वक्त एक आकर्षक प्रस्ताव की तरह दिख रही थी, खासकर जब लोग अधूरे प्रोजेक्ट्स और लम्बे समय तक चलने वाली देरी के चलते चिंतित थे। लेकिन क्या वाकई में यह एक अच्छा सौदा था?
क्यों फंसते हैं लोग?
ईएमआई सबवेंशन प्लान की आड़ में बिल्डर्स और रियल एस्टेट डेवलपर्स ने घर खरीदारों को आकर्षक ऑफर्स दिए। हालांकि, असलियत यह है कि अधिकांश प्रोजेक्ट तय समय पर पूरा नहीं हुए। बिल्डर्स ने बैंकों को भुगतान करना बंद कर दिया, और इसके बाद बैंक ने खरीदारों से पेमेन्ट की मांग की। इस कारण खरीदारों को डिमांड नोटिस, डिफॉल्ट पेनल्टी और कानूनी कार्रवाई की धमकियां मिलने लगीं।
इन योजनाओं के तहत खरीदारों के पास न तो लोन वितरण का कोई नियंत्रण था और न ही डिलीवरी की समय-सीमा पर कोई निगरानी। जैसे-जैसे समय बीतता गया, खरीदारों की परेशानी बढ़ती गई और उन्हें न्याय पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
कोर्ट में मामला: अब सीबीआई जांच का आदेश
खरीदारों की परेशानियां बढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने बिल्डर्स और बैंकों के गठजोड़ को फटकार लगाई और इस धोखाधड़ी की सीबीआई जांच का आदेश दिया। अब अदालत ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने का संकेत दिया है।
यह पूरा मामला दर्शाता है कि ईएमआई सबवेंशन प्लान जैसी योजनाएं, जो पहली नजर में आकर्षक लगती हैं, कई बार ग्राहकों के लिए जालसाजी का कारण बन सकती हैं। खरीदारों को इस प्रकार की योजनाओं में निवेश करने से पहले पूरी जानकारी और वैधता की जांच करनी चाहिए। साथ ही, यह भी जरूरी है कि सरकार और नियामक निकाय इन योजनाओं पर कड़ी निगरानी रखें, ताकि इस तरह के धोखाधड़ी से लोगों को बचाया जा सके।