RBI की नीतिगत दरों में कटौती का फैसला: क्या होगा आम आदमी पर असर?

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RBI- फोटो : Social Media

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) आज अपनी बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना पर निर्णय लेगी। लगातार दूसरी बार दरों में कटौती की अटकलें हैं, लेकिन इस बार कुछ खास आर्थिक चुनौतियाँ और वैश्विक अस्थिरताएं भी इसके फैसले को प्रभावित कर सकती हैं।

कटौती का असर आम आदमी पर:

यदि आरबीआई अपनी नीतिगत दरों में कटौती करता है, तो इसका सीधा लाभ आम आदमी को मिलेगा। ब्याज दरों में कमी का मतलब है सस्ते लोन, कम ईएमआई, और आमदनी के नए अवसर। इस निर्णय से उपभोक्ताओं को अपने गृह और व्यक्तिगत लोन पर राहत मिल सकती है। लेकिन, इसके साथ ही बचतकर्ताओं के लिए रिटर्न में कमी भी हो सकती है, क्योंकि ब्याज दरों में कमी से बैंक द्वारा दी जाने वाली बचत योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दर भी घट सकती है।

ट्रंप के टैरिफ नीतियों का असर:

हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति पर काबू पाने में सफलता मिली है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किया गया व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक व्यापार के इन अस्थिर हालातों में 50 बेसिस प्वाइंट्स (BPS) की कटौती का निर्णय लेना जोखिमपूर्ण हो सकता है।

क्या होगा कटौती का सही आकार?

विभिन्न विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक में सबसे अधिक संभावना 25 बीपीएस की कटौती की है। रिलायंस ब्रोकिंग के विशेषज्ञ रवि सिंह के अनुसार, "रेपो रेट में 25 बीपीएस की कटौती की संभावना है, क्योंकि मुद्रास्फीति नियंत्रित है और रुपये की स्थिति भी मजबूत हो रही है।" वहीं, इन्फोमेरिक्स के मनोरंजन शर्मा का कहना है कि 50 बीपीएस की कटौती अनावश्यक होगी और अगले वित्तीय वर्ष 2026 में 75-100 बीपीएस की कमी की संभावना है।

मुद्रास्फीति और विकास की स्थिति:

अच्छी खबर ये है कि मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट आ रही है। फरवरी में यह 3.61% के सात महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर (GDP growth) 6.4% रहने का अनुमान है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम है। इससे भी RBI के निर्णय पर असर पड़ेगा, क्योंकि वह विकास को प्रोत्साहित करने के लिए मौद्रिक नीति में नरमी लाने का प्रयास कर सकता है।

आरबीआई के फैसले पर क्या असर पड़ेगा?

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की यह बैठक इस लिहाज से अहम है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक संकट, जैसे ट्रेड वॉर और अन्य घरेलू आर्थिक चुनौतियों के बीच संतुलित तरीके से संभालना जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार, आज का फैसला भारतीय बाजारों और आम आदमी की जिंदगी पर अहम असर डालने वाला है। इसलिए, यदि रेपो रेट में कटौती की जाती है, तो इससे कर्ज लेने वालों को तो राहत मिलेगी, लेकिन बचतकर्ताओं को इसका नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है।

अंततः, भारतीय रिजर्व बैंक का यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है, और निवेशकों से लेकर आम नागरिक तक सभी को इसके प्रभाव का इंतजार है।

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