महिला निवेशकों का म्यूचुअल फंड में बढ़ता कदम, निवेश में बढ़ी हिस्सेदारी
SIPs के माध्यम से निवेश में तेजी से बढ़ोतरी और छोटे शहरों में निवेश की बढ़ती हिस्सेदारी से यह स्पष्ट होता है कि महिलाएं अब निवेश के लिए अधिक जागरूक हो रही हैं और अपने भविष्य को सशक्त बना रही हैं।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने में महिला निवेशक तेजी से आगे बढ़ रही हैं। पिछले पांच वर्षों में उनकी निवेश हिस्सेदारी में शानदार बढ़ोतरी देखने को मिली है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के अनुसार, मार्च 2024 तक महिलाओं के पास कुल व्यक्तिगत निवेशकों के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) का 33 फीसदी हिस्सा है। महिलाओं का म्यूचुअल फंड निवेश 2019 में 4.59 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 11.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस और वेल्थ क्रिएशन की दिशा में एक मजबूत बदलाव को दर्शाता है।
SIPs का बढ़ता चलन
इस वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIPs) का है, जो महिलाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। पिछले पांच वर्षों में कुल SIP AUM में 319 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। SIP का आसान तरीका और लंबी अवधि में छोटे-छोटे निवेश करने की आदत ने महिलाओं को म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है।
मेट्रो शहरों (T30 शहरों) में महिलाओं की AUM का लगभग 75 फीसदी हिस्सा अभी भी है, लेकिन छोटे शहरों (B30 शहरों) में महिला निवेशकों की हिस्सेदारी में बड़ा बदलाव आया है। 2019 में B30 शहरों में महिला निवेशकों की हिस्सेदारी 20 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 2024 में 25 फीसदी से अधिक हो गई है। यह बदलाव एक पॉजिटिव ट्रेंड को दिखाता है, जो महिलाओं के निवेश में बढ़ती जागरूकता और उनके आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक है।
यह बदलाव बड़े सामाजिक-आर्थिक बदलावों को भी दर्शाता है। 2024 में महिलाओं की वर्कफोर्स भागीदारी लगभग दोगुनी होकर 41.7 फीसदी हो गई है और उनकी साक्षरता दर भी पुरुषों की तुलना में तेजी से बढ़ रही है। यह सभी संकेत इस बात के हैं कि महिलाएं अब केवल अपने परिवारों की देखभाल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे आर्थिक निर्णयों में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं और अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए म्यूचुअल फंड जैसे निवेश माध्यमों का चयन कर रही हैं।