IPS Salary: IGP और DGP में कौन है ज्यादा पावरफुल? जानिए प्रमोशन के बाद कितनी बढ़ जाती है सैलरी
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी IGP और DGP भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ पद हैं। DGP पूरे राज्य की पुलिस का मुखिया होता है, जबकि IGP किसी विशेष क्षेत्र का प्रभारी होता है। DGP के पास IGP से ज़्यादा अधिकार होते हैं।

IPS Salary: पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में दो वरिष्ठ पद हैं, लेकिन कई लोगों के लिए यह जानना दिलचस्प हो सकता है कि इनमें से कौन अधिक शक्तिशाली है और पदोन्नति के बाद वेतन में कितनी वृद्धि होती है। आईजीपी आमतौर पर किसी विशेष क्षेत्र, रेंज या विशेष शाखा का प्रभारी होता है, जबकि डीजीपी पूरे राज्य की पुलिस का मुखिया होता है।
डीजीपी के पास आईजीपी से अधिक शक्तियां होती हैं, क्योंकि वह सीधे राज्य सरकार के गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करता है और पूरे राज्य की कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण और पुलिस सुधारों के लिए जिम्मेदार होता है। वहीं, आईजीपी अपने कार्य क्षेत्र में अपराध नियंत्रण, कानून व्यवस्था और पुलिस संचालन की निगरानी करता है।
जब कोई आईजीपी डीजीपी के पद पर पदोन्नत होता है, तो उसका वेतन काफी बढ़ जाता है। एक आईजीपी का मूल वेतन ₹1,44,200 से ₹2,18,200 तक होता है, जबकि डीजीपी बनने पर यह बढ़कर ₹2,25,000 प्रति माह (निर्धारित) हो जाता है। अगर कुल सैलरी की बात करें तो IGP की सैलरी (भत्तों सहित) ₹2 लाख से ₹2.5 लाख के बीच होती है, जबकि DGP बनने के बाद यह ₹3 लाख या उससे भी ज्यादा हो सकती है। प्रमोशन के साथ सैलरी 50 हजार से 1 लाख रुपए तक बढ़ सकती है, जो इस पद की प्रतिष्ठा और जिम्मेदारी को दर्शाता है।
DGP बनने के बाद सैलरी बढ़ोतरी के साथ-साथ कई अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं, जिसमें सरकारी गाड़ी, सुरक्षाकर्मी, उच्च श्रेणी का सरकारी आवास, विशेष भत्ता, यात्रा भत्ता और मेडिकल सुविधाएं शामिल हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट है कि IGP से DGP बनने पर न केवल सैलरी बढ़ती है, बल्कि जिम्मेदारियों और अधिकारों में भी बड़ा बदलाव आता है। DGP पूरे राज्य की पुलिस व्यवस्था का मुखिया होता है, जबकि IGP क्षेत्रीय स्तर पर कानून व्यवस्था संभालता है।