Maoists Encounter: माओवाद मुक्त भारत में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता, मुठभेड़ में एक साथ ढेर हुए इतने हथियारबंद माओवादी

Maoists Encounter: सुरक्षाबलों की ओर से माओवादी संगठनों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में बड़ी सफलता मिली है. एनकाउंटर में कम से कम तीन माओवादी के मारे जाने की खबर है.

Maoists Encounter- फोटो : news4nation

Maoists Encounter: माओवाद मुक्त भारत को लेकर सुरक्षाबलों के चल रहे अभियान में बुधवार को बड़ी सफलता मिली जिसमें कम से कम तीन माओवादी के मारे जाने की खबर है। माओवादी संगठन के खिलाफ यह अभियान आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मारेदुमिल्ली जंगलों में बुधवार को पुलिस और सीपीआई (माओवादी) पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच हुई. बताया जा रहा है कि गोलीबारी में एक केंद्रीय समिति सदस्य सहित तीन माओवादी मारे गए। सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच लगातार मुठभेड़ चल रही है।


पुलिस से हुई मुठभेड़ में तीन माओवादी ढेर

पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, तलाशी अभियान खुफिया सूचनाओं के आधार पर चलाया गया था। पुलिस ने कहा कि मृतकों की पहचान अभी नहीं हो पाई है। अल्लूरी सीतारामाराजू जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अमित बरदार ने बताया, “पुलिस से हुई मुठभेड़ में तीन माओवादी मारे गए।” रामपचोडावरम के डीएसपी जीएस प्रशांत ने कहा, “माओवादियों के शव अभी बरामद नहीं हुए हैं। जांच जारी है, और पुलिस ने क्षेत्र में किसी भी अन्य माओवादी की उपस्थिति का पता लगाने के लिए निगरानी बढ़ा दी है।


माओवादी ने किया था आत्मसमर्पण 

इससे एक दिन पहले 17 जून को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के पेद्दाकोरमा गांव में माओवादियों ने मंगलवार को आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के रिश्तेदारों तीन ग्रामीणों की बेरहमी से हत्या कर दी। माओवादियों ने अन्य ग्रामीणों पर भी हमला किया और ऐसी खबरें हैं कि एक दर्जन से अधिक लोगों को अगवा कर जंगल में ले जाया गया। माना जा रहा है कि इस हमले का उद्देश्य स्थानीय लोगों को आतंकित करना और आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों से जुड़े लोगों को दंडित करना है।


पुलिस के अनुसार, मंगलवार को शाम 4 बजे के आसपास माओवादियों ने एक छात्र सहित झिंगू मोडियाम, सोमा मोडियाम और अनिल माडवी की रस्सी से गला घोंटकर हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि मारे गए लोगों में से दो माओवादी कमांडर दिनेश मोडियाम के रिश्तेदार थे, जिन्होंने कुछ महीने पहले हथियार उठा लिए थे। दिनेश बीजापुर का सबसे खूंखार माओवादी था, जिसका आत्मसमर्पण पुलिस के लिए सूचना जुटाने और माओवादी रणनीतियों के लिहाज से काफी मायने रखता था।