Bihar crime: बिहार बना 'कत्लिस्तान'! 17 दिन में 51 लोगों की हत्या, गैंगस्टर से नेता तक खून की होली

Bihar crime: पिछले 17 दिनों में 51 हत्याएं, यानी हर आठ घंटे में एक जान ली जा रही है। जेल के अंदर से हत्याएं, बाहर हत्या और जेल से रिहा होते ही हत्या।....

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17 दिन में 51 लोगों की हत्या- फोटो : social Media

Bihar crime: बिहार की सरजमीं इन दिनों खून और बारूद की बूँदों से लथपथ है। एक तरफ अस्पताल के भीतर गैंगस्टर चंदन मिश्रा को गोलियों से छलनी कर दिया जाता है, दूसरी तरफ खगड़िया में एक जदयू नेता को मौत के घाट उतार दिया जाता है। इन दो वारदातों ने फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर बिहार में चुनाव से पहले लहू की बारिश क्यों हो रही है?कभी गैंगवार, कभी राजनीतिक रंजिश, तो कभी सुपारी किलिंग , बिहार में अब मौतें रोज की खबर बनती जा रही हैं।

पिछले 17 दिनों में 51 हत्याएं, यानी हर आठ घंटे में एक जान ली जा रही है। जेल के अंदर से हत्याएं, बाहर हत्या और जेल से रिहा होते ही हत्या। अब तो सवाल ये भी उठ रहा है कि बिहार में सुरक्षित कोई है भी?

अब अगर सरकार के आंकड़ों पर जाएं तो तस्वीर कुछ और ही है।जनवरी से मई 2024 बनाम जनवरी से मई 2025 का आंकड़ा:

हत्या: 1112 से 1099 (-1.2 फीसदी)

डकैती: 93 से 83 (-10.75 फीसदी)

दंगा: 1390 से 1107 (-20.35 फीसदी)

रेप: 880 से 864 (-1.8 फीसदी)

सरकार कह रही है कि अपराध में गिरावट आई है, लेकिन सड़कों और श्मशानों की कहानी कुछ और कहती है। अपर पुलिस महानिदेशक का बयान तो और भी हैरान करता है। उन्होंने कहा कि "मई-जून-जुलाई में छुट्टियां होती हैं, लोग फुर्सत में होते हैं, इसलिए मर्डर ज़्यादा हो जाते हैं।"

इस तर्क पर बिहार की जनता का सवाल है कि “क्या हमें इन महीनों में जान बचाने के लिए राज्य छोड़ देना चाहिए?” क्या अब हत्याएं भी मौसमी घटनाएं बन चुकी हैं?

गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या अस्पताल में होती है, यानी कानून और सुरक्षा को खुलेआम ठेंगा दिखाया गया। दूसरी ओर, सत्ताधारी दल के नेता की हत्या यह बताने को काफी है कि अब अपराधियों को किसी का खौफ़ नहीं।

राजनीतिक गलियारों में हलचल है, बयानबाजी चालू है, लेकिन सवाल वहीं है कि क्या इस खून-खराबे को अब ‘नॉर्मल’ मान लिया गया है? क्या बिहार की फिजा में अब बारूद की बू और खामोश लाशों की चीख की गूंज नहीं सुनाई दे रही है।