Bihar Crime: मोतिहारी में 'उजला सोना' का काला खेल, बूढ़ी गंडक से बेरोकटोक अवैध खनन, प्रशासन पर गंभीर सवाल
Bihar Crime:उजले बालू' के अवैध खनन का केंद्र बन गई है, जहां दिन-दहाड़े और रात के अंधेरे में भी धड़ल्ले से चल रहा यह गोरखधंधा, सरकारी खजाने को चूना लगाकर अधिकारियों की जेबें भर रहा है।
Bihar Crime:पूर्वी चंपारण की धरती पर बहने वाली बूढ़ी गंडक नदी इन दिनों 'उजले बालू' के अवैध खनन का केंद्र बन गई है, जहां दिन-दहाड़े और रात के अंधेरे में भी धड़ल्ले से चल रहा यह गोरखधंधा, सरकारी खजाने को चूना लगाकर अधिकारियों की जेबें भर रहा है। सरकार की तमाम सख्ती और पूर्व में हुई दर्जनों अधिकारियों पर कार्रवाई के बावजूद, मोतिहारी का स्थानीय प्रशासन इस अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने में पूरी तरह विफल साबित हो रहा है, जिससे कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
अधिकारियों की मिलीभगत से फल-फूल रहा अवैध धंधा
बंजरिया प्रखंड क्षेत्र में, खासकर कपरसंडी, मोखलिसपुर, गोबरी, सिसवानिया, जटवा, खैरी, सुंदरपुर, खैराघाट जैसे दर्जनों स्थानों पर, बूढ़ी गंडक नदी से मिट्टी और सफेद बालू का अवैध खनन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। आश्चर्यजनक रूप से, यह सब कुछ प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है। स्थानीय लोगों और सूत्रों के अनुसार, इस अवैध धंधे में बालू माफियाओं और अधिकारियों के बीच गहरी साठगांठ है, जिसकी वजह से यह बेरोकटोक जारी है। दिन के उजाले में भी ट्रैक्टरों पर लदे अवैध बालू को सड़कों पर खुलेआम ले जाया जा रहा है, लेकिन प्रशासन की "नजर" इन पर नहीं पड़ती।
राजस्व का नुकसान और ग्रामीणों को बाढ़ का खतरा
इस अवैध खनन से जहां एक ओर बिहार सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय अधिकारी मालामाल हो रहे हैं। इसके साथ ही, ग्रामीणों को आने वाले बाढ़ के मौसम को लेकर गंभीर चिंता सता रही है। नदी से अत्यधिक खनन के कारण, नदी की धारा गांवों के निकट आ रही है, जिससे बाढ़ के समय इन गांवों पर खतरा मंडराने लगता है। यह न केवल पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ रहा है, बल्कि मानवीय सुरक्षा को भी दांव पर लगा रहा है।
खनन विभाग की चुप्पी: 'मिलीभगत' के पुख्ता प्रमाण?
खनन विभाग को इस अवैध गतिविधि की सूचना होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करना, इस 'काले खेल' में उनकी संलिप्तता पर कई सवालों को जन्म दे रहा है। अवैध खनन दिन-रात बिना किसी रोकटोक के जारी है, जो दर्शाता है कि या तो प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से निष्क्रिय है, या फिर इस धंधे में उनकी गहरी मिलीभगत है।
पर्यावरण और जनजीवन पर गंभीर प्रभाव
अवैध बालू खनन केवल राजस्व की हानि तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके कई गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक दुष्परिणाम भी हैं। बालू से भरी वाहनों पर प्लास्टिक तक नहीं दिया जाता, जिससे उड़ने वाले धूल कण सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। इन धंधेबाजों द्वारा प्रतिदिन दर्जनों जेसीबी मशीन, हाईवा और सैकड़ों ट्रैक्टरों का उपयोग कर लाखों रुपये के बालू का अवैध खनन किया जा रहा है। प्रति टेलर 2000 से 3000 रुपये में यह बालू क्षेत्र सहित शहर में बेची जा रही है, जो इस अवैध कारोबार के विशालकाय स्वरूप को दर्शाता है।
मोतिहारी में बूढ़ी गंडक नदी से हो रहा यह अवैध खनन बिहार सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिस पर तत्काल और कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि न केवल राजस्व का नुकसान रोका जा सके, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।
रिपोर्ट- हिमांशु कुमार