Bihar Police: गाड़ी में थे दो दरोगा जी, सशस्त्र बल भी साथ, फिर भी गाड़ी चलने से पहले कैसे गायब हो गया लूट का आरोपी ?
Bihar Police:बिहार पुलिस की कार्यशैली को लेकर उठते सवालों की फेहरिस्त में एक और शर्मनाक अध्याय जुड़ गया है।
Bihar Police:बिहार पुलिस की कार्यशैली को लेकर उठते सवालों की फेहरिस्त में एक और शर्मनाक अध्याय जुड़ गया है। मोतिहारी के हरसिद्धि थाना क्षेत्र से एक संवेदनशील मामला सामने आया है, जिसमें पुलिस की मौजूदगी के बावजूद एक नामजद लूट का आरोपी पुलिस गाड़ी से फरार हो गया।
घटना पानापुर तधवा टोला की है, जहां दिसंबर 2024 में स्थानीय चिकित्सक डॉ. अजीत कुमार सिंह के घर पर लूट और मारपीट की घटना घटी थी। उसी मामले में अभियुक्त रवि कुमार को पकड़ने पहुंची पुलिस ने उसे गिरफ्त में लेकर गाड़ी पर बैठाया। चौंकाने वाली बात यह है कि जब पुलिस गाड़ी चली, तो रवि कुमार उसमें था ही नहीं।
गाड़ी में हरसिद्धि थाना के दो-दो दरोगा और सशस्त्र बल मौजूद थे। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह चूक मात्र है या मिलीभगत? जिस तरह से गाड़ी से आरोपी का "गायब" हो जाना सामने आया है, उसने न केवल पुलिस प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि आमजन के बीच पुलिस की नीयत और क्षमता दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुलिस के मुताबिक, रवि को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन परिजनों द्वारा किए गए हंगामे के दौरान कोई "चालाकी" हुई या फिर पुलिस की लापरवाही ने उसे भागने का मौका दिया – यह अब जांच का विषय बन गया है। हालांकि, अरेराज डीएसपी रंजन कुमार ने जांच का भरोसा दिलाया है, लेकिन बिहार में ऐसी "जांच" की विश्वसनीयता को लेकर जनता पहले ही आशंकित है।
इस घटना ने विपक्षी दलों को भी मौका दे दिया है कि वे बिहार पुलिस की कमजोरी और भ्रष्टाचार पर सवाल उठाएं। साथ ही यह भी पूछें कि जब राज्य में अपराधी पुलिस की निगरानी में भी फरार हो रहे हैं, तो आम जनता कितनी सुरक्षित है?
यह घटना बिहार की कानून-व्यवस्था और पुलिसिया जवाबदेही पर बड़ा तमाचा है। यदि इस पर त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई नहीं होती, तो यह सरकार की प्रशासनिक पकड़ पर भी गंभीर सवाल खड़े करेगा।अब सवाल यह नहीं कि आरोपी कैसे भागा । सवाल यह है कि भागने दिया गया या मौका मिल गया? जवाबदेही तय होगी या फिर एक और फाइल ठंडे बस्ते में जाएगी?