3 माह बाद भी एसवीयू की पकड़ से दूर रिशु श्री! बच रहा है या बचाया जा रहा है! एक दर्जन वरिष्ठ नौकरशाहों पर लटकती तलवार क्या मुहं खोलेगा रिलायबल सिन्हा!

3 माह बाद भी एसवीयू की पकड़ से दूर रिशु श्री! बच रहा है या बचाया जा रहा है! - फोटो : REPORTER

N4N डेस्क: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की रिपोर्ट के आधार पर बिहार पुलिस की विशेष निगरानी इकाई(एसवीयू) ने 30 अप्रैल 2025 को टेंडर घोटाले के मास्टरमाइंड रिशु रंजन सिन्हा उर्फ रिशु श्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. उल्लेखनीय है कि संजीव हंस के साथ साथ रिशु श्री के ठिकानों पर रेड हुई थी. रिशु श्री के ठिकानों पर हुई रेड में चौंकाने वाले दस्तावेज बरामद हुए थे, लेकिन सरकार में गहरी पैठ रखने वाले लोग रिशु श्री को बचाने में लग गये थे.उन्हें रिशु श्री की पोल खुलने पर खुद फंसने का डर सता रहा था. उन्हीं कोशिशों का असर था कि रिशु श्री के खिलाफ लंबे अर्से से कार्रवाई नहीं हुई. जाँच एजेंसी की जाँच में पता चला है कि महज सात-आठ साल से दलाली के धंधे का काम कर रहे रिशु श्री ने भारी कमाई की है. दिल्ली में रियल स्टेट में उसने काफी पैसा निवेश किया है. जांच में ईडी को उसके नाम से संपत्तियों के 61 सेल डीड मिले हैं. पटना और हाजीपुर में उसके दो पेट्रोल पंप भी हैं.पिछले दो साल में उसने बीएमडब्लू और लैंड क्रूजर जैसी आधा दर्जन से अधिक कारें खरीदी हैं.कंपनियों का जाल बिछाया ताकि पैसों को खपा सके.विगत पांच सालों में रिशु ने दुबई और यूरोपीय देशों की लगातार यात्राएं की हैं और जांच एजेंसी का अनुमान है कि उसने बिहार सरकार के कई अधिकारियों की काली कमाई का विदेशों में निवेश किया है.

FIR के 3 माह बाद भी रिशुश्री का रहस्य कायम!

सालों तक, सचिवालय के संगमरमरी गलियारों में फुसफुसाहटों में उनका नाम गूंजता रहा रिशु रंजन सिन्हा, जिन्हें रिशु श्री के नाम से ज़्यादा जाना जाता है, यानी पर्दे के पीछे का आदमी.अनजान लोगों के लिए, वह बस एक और नाम भर रहा है.लेकिन बिहार के नौकरशाही के गढ़ में रहने वालों के लिए, वे असली द्वारपाल जो सत्ता से अनौपचारिक संपर्क सूत्र, जिसकी एक झलक से फाइलें विभागों से गुज़र सकती थीं या गुमनामी में डूब सकती थीं. 

अब, जब बिहार पुलिस की विशेष निगरानी इकाई ने आखिरकार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बहुत पहले सौंपे गए सबूतों के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है, तो पर्दा उठ रहा है। और जो कुछ भी छिपा है, उससे एक ऐसी गहरी सांठगांठ उजागर होने का खतरा है, जिसके बारे में अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि अगर पूरी जाँच की जाए तो एक दर्जन वरिष्ठ अधिकारियों को जेल हो सकती है.


तो फिर रिशु श्री कौन हैं?

न कोई नौकरशाह न कोई निर्वाचित जन प्रतिनिधि लेकिन हनक कई मायनों में दोनों से ज़्यादा ताकतवर, पहुच ऐसी की बिहार के सत्ता के गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार, प्रमुख आईएएस अधिकारियों के दफ्तरों में कोई भी बड़ी फाइल उनकी मर्ज़ी के बिना आगे नहीं बढ़ती थी. ठेकेदारों, दलालों और यहाँ तक कि अच्छी पोस्टिंग चाहने वालों के लिए भी एक ही संपर्क सूत्र था रिशु श्री। उनकी भूमिका, हालाँकि अनौपचारिक थी, लेकिन महत्वपूर्ण थी,सरकारी विभागों में प्रभाव, धन और आवाजाही का द्वारपाल.

सूत्रों का कहना है कि सालों तक, वह बेख़ौफ़ होकर काम करता रहा, और उसकी खामोशी से जुड़े लोगों की पनाह में रहा. दरअसल, जब ईडी ने 16 जुलाई, 2024 को रिशु श्री की संपत्तियों पर छापा मारा, तो वह यहीं नहीं रुका. उसी दिन, उसने आईएएस अधिकारी संजीव हंस के ठिकानों पर भी छापा मारा, इस खुफिया जानकारी के आधार पर कि हंस की ओर से रिशु श्री के ज़रिए हवाला लेन-देन किया जा रहा था.छापों से कई अहम दस्तावेज़ मिले कुछ लोग तो विस्फोटक भी कहते हैं लेकिन राज्य महीनों तक बेपरवाह रहा. बंद दरवाजों के पीछे, इस घटना के नतीजों को दबाने की पूरी कोशिशें चल रही है, इस डर से कि रिशु श्री के खुलासे कहीं उनसे कहीं ऊँचे ओहदों पर बैठे अधिकारियों के भी हाथ न लग जाएँ.


एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न लिखने की शर्त पर जानकारी देते हुए बताया, "सब जानते थे। सवाल यह नहीं  है कि रिशु श्री पकड़ा जायेगा या नहीं? सवाल यह  है रिशु का के साइन में दफ़न राज फाश होने पर कौन कौन सलाखों के पीछे होगा.


अब औपचारिक रूप से सामने आए इस मामले ने पटना के उच्च पदों पर बैठे कई लोगों की नींद उड़ा दी है. कभी अछूत समझे जाने वाले एक दर्जन अधिकारी बढ़ते खौफ के साथ इस घटनाक्रम को देख रहे हैं और हर गुजरते दिन के साथ, यह सवाल गहराता जा रहा है न सिर्फ़ यह कि रिशु श्री कौन हैं, बल्कि यह भी कि उनकी जड़ें कितनी गहरी हैं?



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