Bihar Police: ब्राह्मण से नफरत है!, बिहार पुलिस के थानेदार का जहर उगलता 'इंसाफ', जाति पूछी और फिर बरसा दी अंधाधुंध लाठी थूक भी चटवाया

थानेदार प्रवीण चंद्र दिवाकर ने ई-रिक्शा चालक प्रद्युमन कुमार को ऐसा सबक सिखाया, जो कोई दुश्मन भी न दे। जनाब को ब्राह्मणों से नफरत है, और इस नफरत की आग में उन्होंने एक गरीब मजदूर को न सिर्फ जाति पूछकर पीटा बल्कि थाने में जमीन पर थूकवाकर थूक चटवाया। .

बिहार पुलिस के थानेदार का जहर उगलता 'इंसाफ- फोटो : social Media

Bihar Police: कानून के रहनुमा जब खुद कानून तोड़ने लगें, तो समझिए व्यवस्था "न्याय के मंदिर" से खिसककर "जातीय जहर के नाले" में गिर चुकी है। बिहार के शेखपुरा जिले के मेहुस थाने में जो हुआ, वह न सिर्फ इंसानियत के मुँह पर तमाचा है बल्कि संविधान के सीने पर लात मारने जैसा है। थानेदार प्रवीण चंद्र दिवाकर ने ई-रिक्शा चालक प्रद्युमन कुमार को ऐसा सबक सिखाया, जो कोई दुश्मन भी न दे। जनाब को ब्राह्मणों से नफरत है, और इस नफरत की आग में उन्होंने एक गरीब मजदूर को न सिर्फ जाति पूछकर पीटा बल्कि थाने में जमीन पर थूकवाकर थूक चटवाया। अरे हुजूर! ये थाने हैं या किसी मध्यकालीन दरबार के अत्याचारी खाप पंचायत?

थप्पड़, लाठी, गाली और जातीय अपमान , सब कुछ उस थाने में हुआ जहां न्याय का झंडा लहराना चाहिए।"इस जाति से मुझे नफ़रत है", ये शब्द अगर किसी गुंडे-मवाली ने कहे होते तो शायद कोई चौंकता नहीं, लेकिन जब यही शब्द एक थानेदार की जबान से निकलें, तो पूरा सिस्टम कटघरे में आ खड़ा होता है।

प्रद्युमन की गलती? बस यहीं कि वो गरीब है, रिक्शा चलाता है और 'गलती से' उस जाति में पैदा हो गया जिससे थानेदार साहब को नफरत है। यह कैसी व्यवस्था है जहां पुलिस इंसाफ के नाम पर जिल्लत का सौदा करती है?

वीडियो वायरल हुआ, तो पुलिस महकमा हरकत में आया। वाह! अब न्याय सोशल मीडिया की वायरलिटी पर निर्भर है? एएसपी साहब कह रहे हैं कि मामला प्रथम दृष्टया सही लगता है" । जनाब, जब वीडियो में इंसान की इज्तज तार-तार हो रही हो, तो "दृष्टया" नहीं, सीधे कार्रवाई होनी चाहिए।

अब जनता, विधायकों और समाजसेवियों को आवाज उठानी पड़ी कि थानेदार पर एफआईआर हो, न्यायिक जांच हो, पीड़ित को मुआवजा मिले। 

बहरहाल सवाल ये है कि क्या बिहार में जात पूछकर इंसाफ मिलेगा या इंसाफ से पहले जात बतानी पड़ेगी? कहते हैं पुलिस आपकी मित्र है, पर जब मित्र ही दलित, ब्राह्मण, पिछड़ा, मुसलमान देखकर व्यवहार करे तो फिर ये दोस्ती नहीं ,ये नफरत का सरकारी ठेका है।