Bihar Crime: पियक्कड़ ने थानेदार को दौड़ा दौड़ा कर पीटा, साथी सिपाही हो गए फुर्र, वसूली का खेल है जनाब!

Bihar Crime: शराब के धंधेबाजों का टोह लेने गए थानाध्यक्ष खुद पियक्कड़ के हत्थे चढ़ गए।....

पियक्कड़ ने थानेदार को दौड़ा दौड़ा कर पीटा- फोटो : social Media

Bihar Crime: बिहार की शराबबंदी और पुलिस की ‘कानून व्यवस्था’ का असली मंजर शनिवार की रात कोरमा थाना क्षेत्र के डीहकुसुम्भा गांव में देखने को मिला, जहां सादी वर्दी में शराब के धंधेबाजों का टोह लेने गए थानाध्यक्ष खुद पियक्कड़ के हत्थे चढ़ गए।

थानाध्यक्ष मुरारी कुमार माधव ने गांव की तंग गलियों में बड़े वाहन न जाने की वजह से एक सिपाही के साथ बाइक पर सवार होकर धंधेबाजों की तलाश शुरू की। रात करीब आठ बजे जैसे ही बेलदारी टोले में पहुंचे, नशे में धुत रामरूप उर्फ़ बाढ़ो केवट ने अचानक लाठी उठाई और हमला बोल दिया।

पियक्कड़ यहीं नहीं रुका  लाठी बरसाते हुए पूरे मोहल्ले में “चोर-चोर” का शोर मचाने लगा, मानो थानाध्यक्ष कोई बैंक लूटकर भाग रहे हों। हेलमेट पहने होने के कारण मुरारी कुमार के सिर पर गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन वार की ताक़त से हेलमेट दो टुकड़े हो गया।

विडंबना यह रही कि साथ आया सिपाही अपने अधिकारी को बचाने की जगह मैदान छोड़कर भाग खड़ा हुआ। अगर मुख्य सड़क पर खड़ी पुलिस जीप से बाकी जवान दौड़कर न आते, तो शायद कहानी का अंत और भयावह होता। पुलिसकर्मियों ने हमलावर को काबू कर हिरासत में ले लिया।

अब घटना के पीछे की परतें भी खुलने लगी हैं। सूत्रों के मुताबिक, शराब पकड़ने की जिम्मेदारी संभालने वाले विभाग का एक चालक नियमित रूप से इसी गांव में आता-जाता था, लेकिन धंधेबाजों को पकड़ने की बजाय उनसे वसूली कर लौट जाता था। इसी वजह से पियक्कड़ को यक़ीन था कि थानाध्यक्ष भी ‘उसी गिरोह’ का हिस्सा हैं, और जैसे ही मौका मिला, उसने ‘अपना हिसाब’ बराबर कर लिया।

यह वाकया न सिर्फ पुलिस की साख पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि शराबबंदी के नाम पर चल रहे खेल का भी पर्दाफाश करता है। जहां एक तरफ अधिकारी ‘अभियान’ में जुटे होने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी ओर उसी महकमे के लोग कथित तौर पर धंधेबाजों से मिलीभगत कर रहे हैं।

गांव के लोग कहते हैं कि घटना हास्यास्पद जरूर थी, लेकिन खतरनाक भी  क्योंकि जब थानाध्यक्ष तक को अंधेरे में “चोर” कहकर पीटा जा सकता है, तो आम जनता का क्या हाल होगा?

अब पुलिस हमलावर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कर रही है, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या शराबबंदी के नाम पर चल रहे वसूली तंत्र पर भी कोई कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी सिर्फ “एक शराबी की करतूत” कहकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?