CISF Promotion : सीआईएसएफ में 29 सालों से प्रमोशन के इंतजार में बैठे हैं 27 सौ इंस्पेक्टर, दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के 11 माह बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

CISF Promotion : सीआईएसएफ में 27 सौ इंस्पेक्टर कई सालों से प्रमोशन के इन्तजार में बैठे हैं. जिसके लिए उन्होंने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया है.......पढ़िए आगे

प्रमोशन का इन्तजार - फोटो : SOCIAL MEDIA

N4N DESK : केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में अधिकारी लम्बे समय तक बिना प्रमोशन के नौकरी करने को मजबूर हैं। 25 से 30 सालों की नौकरी करने  वाले सब इंस्पेक्टर एक ही प्रमोशन लेकर कई  इन्स्पेक्टर बिना असिस्टेंट कमांडेंट में प्रमोशन लिए रिटायर हो गए। गत वर्ष रिटायर्ड इंस्पेक्टर हीरा सिंह ने देरी से डीपीसी  करने को लेकर अलग से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमे दावा किया कि 34 वर्ष तक मेरिटोरियस सर्विस करने के बावजूद इंस्पेक्टर रैंक से रिटायर हो गए। यह अत्यंत ही मनोबल गिरने का कारण रहा। दूसरा केस अत्यंत ही चर्चित रहा , जिसमे 540 इंस्पेक्टरों ने दावा किया कि पिछले 24 सालों से इंस्पेक्टर असिस्टेंट कमांडेंट में प्रमोट होने का इन्तजार कर रहे हैं। देशभर में ऐसे करीब 2700 लोग हैं, जो प्रमोशन के इन्तजार में बैठे हैं। 

सीआईएसएफ इंस्पेक्टर्स का कहना है की स्टाफ सेलेक्शन की परीक्षा में टॉप आनेवालों को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल मिलता है। लेकिन बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी जैसे अर्द्ध सैनिक बलों को चार चार प्रमोशन मिल गए। लेकिन सीआईएसएफ में केवल एक ही प्रमोशन से उन्हें संतोष करना पड़ा है। मजबूर होकर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहाँ दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सीआईएसएफ को इस मामले की कैडर समीक्षा का आदेश दिया। जिसमें विशिष्ट आदेश दिया कि समीक्षा में डीओपीटी और यूपीएससी के नियमों को लागू कर 540 इंस्पेक्टर्स को 4 महीने में प्रमोशन दिया जाए। लेकिन इस आदेश के लगभग 11 माह गुजर जाने के बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। मजबूरन अब प्रमोशन के इन्तजार में बैठे इंस्पेक्टरों ने फिर अवमानना वाद को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का मन बना लिया है। उनका कहना है की केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने भी संसद में कहा की इन्स्पेक्टर को प्रमोशन दिया जा रहा है और समय समय पर कैडर रिव्यू के द्वारा प्रमोशन दिया जाता है ।  गौर तलब है कि हर 5 साल में कैडर रिव्यू करने का आदेश है। लेकिन विगत 35 सालों में सिर्फ एक बार कैडर समीक्षा हुई वह भी पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी के पूछने पर 2018 में हुई थी। जिसमें हकीकत यह रही कि उस कैडर समीक्षा में एक भी ऐसा पोस्ट नहीं  क्रिएट किया। जिससे इंस्पेक्टरों की दयनीय अवस्था में सुधार हो । 

आपको बता दे कि  वर्ष 2018 में राज्य सभा  के पटल पर  गृह मंत्रालय की डिपार्टमेंट रिलेटेड पार्लियामेंट्री  स्टैंडिंग कमेटी ने रिपोर्ट संख्या 215  प्रस्तुत की थी। जिसमें सीआईएसफ मुख्यालय से कमिटी  को  यह सूचना लिखित में दिया कि एक इंस्पेक्टर एग्जिक्यूटिव 5 साल में अस्सिटेंट कमांडेंट एग्जिक्यूटिव में पदोन्नत हो जाता है , जबकि यह वास्तविकता के ठीक उलट था। क्योंकि उस समय 20 वर्षों से ज्यादा का स्टेगनेशन इंस्पेक्टर रैंक में चल रहा था। इंस्पेक्टरों का कहना है कि यह जानबूझ कर गलत सूचना प्रदान की गई , जिससे कमिटी की गठन का उद्देश्य विफल हो गया। इंस्पेक्टरों का कहना है कि भारतीय सशस्त्र बल के अधीन होने के नाते इनको न ही यूनियन बनाने का अधिकार है , न ही एसोसिएशन बना सकते है और इनके मनोबल की रक्षा करने के लिए महानिरीक्षक एवं महानिदेशक नियमों के अंतर्गत  जिम्मेदार  अपनी जिम्मेदारी में असफल रहे है। इन सब बातों के मद्देनजर  इंस्पेक्टर की याचिका पर सुनवाई की गयी। 

बता दें की सीआईएसएफ में याचिकाकर्ता दिवाकर पांडे एवं अन्य के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में फैसला सुनाया है। अदालत के समक्ष कहा गया है कि इंस्पेक्टर से सहायक कमांडेंट बनने में लंबा वक्त लग रहा है। पदोन्नति में ठहराव आ गया है। सरकार की तरफ से पदोन्नति न होने का एक कारण यह भी बताया गया कि सहायक कमांडेंट की वैकेंसी कम हैं, इसलिए इंस्पेक्टर की पदोन्नति में 19 से 20 साल का वक्त लग रहा है। नियमानुसार, पांच साल में इंस्पेक्टर, पदोन्नति के लायक हो जाता है। सरकारी पक्ष के वकीलों ने कहा की  कैडर रिव्यू हो रहा है। तीन सप्ताह में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि यूपीएससी/डीओपीटी के नियमों के अनुसार, इस प्रक्रिया को पूरा किया जाए। यूपीएससी/डीओपीटी द्वारा इस संबंध में समय-समय पर कार्यालय ज्ञापन जारी किए जाते हैं। 

दरअसल सीएपीएफ ने असिस्टेंस कमांडेंट की भर्ती की अधिसूचना 18 अगस्त 2020 को जारी की थी और दिसंबर में लिखित परीक्षा आयोजित हुई। अगले साल 8 फरवरी 2021 को रिजल्ट आया। भर्ती के लिए आईटीबीपी नोडल एजेंसी थी। रिजल्ट के बाद 27 अप्रैल 2022 को अभ्यर्थियों को पता चला कि वे सीआईएसएफ में सहायक कमांडेंट बनेंगे। अब इन अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग लेटर मिलना था, लेकिन 26 अप्रैल 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट में एक केस हो गया और तब से इन 69 भावी अधिकारियों का करियर अधर में लटक गया। यह केस पदोन्नति को लेकर सीआईएसएफ के कनीय अधिकारी दिवाकर पांडे और अन्य ने किया। बल में पदोन्नति के आधार पर एसआई से सीधे असिस्टेंस कमांडेंट बनाने की मांग को लेकर यह केस दायर किया गया था। इसके लिए जो परीक्षा होती है, उसे भी यूपीएससी लेती है। इस केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 अक्तूबर 2022 को भर्ती प्रक्रिया पर ही स्टे लगा दिया, जिसकी जद में सीधी भर्ती के जरिए एसी और एसी/जेएओ से डीसी/ईएक्सई बनने वाले और एलडीसीई रिक्रूटेड भी आ गए। हालांकि जब यह केस हुआ था, तब सीधी भर्ती से एसी बनने वालों की भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। इस बीच सीआईएसएफ ने अपनी वेबसाइट पर यह सूचना डाल दी कि दिवाकर पांडे केस के कारण 'एसी' की भर्ती प्रक्रिया लंबित है। इस मामले में 21 दिसंबर 2022 को फाइनल सुनवाई होनी थी, लेकिन सीआईएसएफ की ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया। आखिर देश की संपत्ति के रक्षा में जीवन समर्पित करने वाले कुशाग्र एवं दक्ष अधीनस्थ अधिकारियों की मनोबल अपने ही विभाग की  घोर उपेक्षा के शिकार हैं।