Mahashivratri 2025: इसलिए मनाई जाती है महाशिवरात्रि, हुई थी ये घटनाएं, ये है इसका महत्व ?
महाशिवरात्रि के दिन रतिपति के सखा बंसत ने भगवान शिव को जगदंबा का सोहाग भरते देखा।.....
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Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि के दिन रतिपति के सखा बंसत ने भगवान शिव को जगदंबा का सोहाग भरते देखा। महाशिवरात्री को हीं भोले शिव अपना आधा खोकर अर्धनारीश्वर बने और समन्वय के परमोच्च 'कैलाशस्य प्रथम शिखरे वेणुसम्मूर्च्छनाभि:' समवेत होकर तांडव रचने लगे।महाशिवरात्रि, जिसे “महान रात” के रूप में भी जाना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से अरुण तरुणों को सांत्वना और स्नेह प्रदान करने के लिए आज यह महाशिवरात्रि आई है, उनके रक्तोष्ण उबाल को गुलाब की शीतल पिचकारी में परिवर्तित करने के लिए, उनकी राख में मिलानेवाली वितृष्णा को भस्ममई विभूति में परिवर्तित करने के लिए और उनके हृदय की चीत्कार को कोकिल में परिवर्तित करने के लिए। आखिर परभृत होने ही की उन्हें मनोव्यथा है, तो क्या 'पर' को मिटाने से ही उनकी व्यथा शांत होगी? महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का आयोजन हुआ था। यह दिन भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। माना जाता है कि शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है। इस दिन पूजा करने से वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।
ज्योतिर्लिंगों का प्रकट होना: मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। इसलिए, भक्त इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग की पूजा करते हैं। शिवलिंग का अभिषेक करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।शिव का प्राकट्य ्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।
इस दिन भक्त निराहार रहकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। यह माना जाता है कि जो लोग इस दिन श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हैं, उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि पर व्रत रखने से मनुष्य को मानसिक शांति और सुख-समृद्धि मिलती है।
महाशिवरात्रि केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि आत्मिक जागृति का भी प्रतीक है। इस रात को ध्यान और साधना करने से व्यक्ति अपने भीतर की ऊर्जा को जागृत कर सकता है, जिससे उसे मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। यह माना जाता है कि इस रात को जागरण करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो सकता है और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। बहरहाल अरुण तरुणों को सांत्वना और स्नेह प्रदान करने के लिए महाशिवरात्रि आई है।