Sri Ramcharit Manas Katha : किन वरदानों के कारण हुआ था रामावतार,नारद मुनि ने भगवान विष्णु को क्यों दिया था श्राप, पढ़िए
Sri Ramcharit Manas Katha :श्रीरामचरित मानस के अनुसार प्रभु राम का अवतार चार मुख्य कारणों से हुआ, जिनमें दो वरदान और दो श्राप शामिल हैं।.....

Sri Ramcharit Manas Katha :श्रीरामचरित मानस के अनुसार प्रभु राम का अवतार चार मुख्य कारणों से हुआ, जिनमें दो वरदान और दो श्राप शामिल हैं।.....
पहला वरदान: मनु और शतरूपा का वरदान
मनु और उनकी पत्नी शतरूपा ने भगवान विष्णु की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और पूछा कि वे क्या वरदान चाहते हैं। मनु और शतरूपा ने कहा कि वे भगवान के समान पुत्र की इच्छा रखते हैं। इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि उनके समान कोई नहीं है, इसलिए वह स्वयं उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। इस प्रकार, मनु और शतरूपा के वरदान के अनुसार, श्रीराम का जन्म राजा दशरथ और माता कौशल्या के घर हुआ।
दूसरा वरदान: रावण को ब्रह्मा का वरदान
रावण ने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या करके उनसे अमर होने का वरदान मांगा था। ब्रह्मा जी ने उसे बताया कि कोई भी अमर नहीं हो सकता, लेकिन उसने अपनी मृत्यु की परिस्थितियाँ स्वयं निर्धारित करने का अनुरोध किया। रावण ने कहा कि उसे देवता, दानव, नाग, किन्नर या अन्य किसी भी जीव द्वारा नहीं मारा जा सकेगा। उसने केवल मानव और वानर को छोड़ दिया था। इस कारण से, जब रावण ने अत्याचार करना शुरू किया, तो भगवान विष्णु को मानव रूप में राम अवतार लेना पड़ा ताकि वह रावण का वध कर सकें।
पहला श्राप: जय-विजय को सनकादिक ऋषियों का श्राप
भगवान विष्णु के द्वारपाल जय और विजय ने एक बार सनकादि ऋषियों का अपमान किया था। इसके परिणामस्वरूप ऋषियों ने उन्हें तीन जन्मों तक राक्षस योनि में जन्म लेने का श्राप दिया। पहले जन्म में वे हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष बने, जिनका वध भगवान विष्णु ने नरसिंह और वराह अवतार लेकर किया। दूसरे जन्म में वे रावण और कुंभकर्ण बने, जिनका वध श्रीराम ने किया।
दूसरा श्राप: नारद मुनि का श्राप
एक बार नारद मुनि को अहंकार हो गया था कि उन्होंने कामदेव पर विजय प्राप्त कर ली है। नारद मुनि ने यह बात भगवान विष्णु को बताई, जिससे भगवान विष्णु को लगा कि नारद का अहंकार मिटाना आवश्यक है। उन्होंने नारद को एक नगर में भेजकर उनकी माया बनाई जिसमें नारद को बंदर जैसा चेहरा मिला। इससे नारद क्रोधित होकर भगवान विष्णु को श्राप देते हैं कि वह मानव रूप धारण करेंगे और 14 वर्षों तक स्त्री वियोग सहन करेंगे।
इन चार कारणों—दो वरदानों (मनु-शतरूपा तथा रावण) और दो श्रापों (जय-विजय तथा नारद)—के कारण श्रीराम का अवतार पृथ्वी हुआ।