Raksha bandhan: रिश्तों की डोर में सजी अनमोल राखी, भाई-बहन के प्रेम का पर्व, राखी का शुभ मुहूर्त कब? भद्रा और राहुकाल का समय यहां देखें
आज पूरे देश में रक्षाबंधन का जश्न उमंग और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। बहन की इल्तिजा माँ की मोहब्बत साथ चलती है, वफ़ा-ए-दोस्ताँ बहर-ए-मशक़्कत साथ चलती है....
Raksha bandhan:किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाँधेगा,अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाँधेगा....श्रावण मास की पूर्णिमा का पावन दिन, आज पूरे देश में रक्षाबंधन का जश्न उमंग और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास, अपनापन और सुरक्षा के बंधन को मजबूत करता है। बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनके दीर्घायु, सुख-समृद्धि और जीवन में विजय की मंगल कामना करती हैं, जबकि भाई जीवनभर उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं।
भाई-बहन का यह रिश्ता केवल खून का नहीं, बल्कि आत्मीयता और भावनाओं की अदृश्य डोर से बंधा होता है। जैसे बहन कहती है – "माना लड़ती हूं, झगड़ती हूं मैं… पर हक हैे तुमसे सब कह सकती हूं मैं।" यही रक्षाबंधन की आत्मा है हक, प्यार और स्नेह का अमूल्य संगम।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष रक्षाबंधन पर न भद्राकाल का साया है और न ही पंचक का भय। इसका अर्थ है कि सुबह से ही राखी बांधने का शुभ मुहूर्त उपलब्ध है। श्रावण पूर्णिमा तिथि इस बार 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से आरंभ होकर 9 अगस्त दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार रक्षाबंधन आज, 9 अगस्त को धूमधाम से मनाया जा रहा है।
सुबह का शुभ मुहूर्त प्रातः 5 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। शाम के समय भी राखी बांधी जा सकती है, किन्तु राहुकाल जो आज प्रातः 9:07 से 10:47 तक रहेगा में कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है।
शास्त्र सम्मत मान्यताओं के अनुसार, राखी बांधते समय भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए, और सिर को रुमाल या कपड़े से ढकना शुभ माना जाता है। दाहिने हाथ की कलाई में राखी बांधना विशेष फलदायक होता है। ऐसा करने से भाई को कार्य सिद्धि, विजय और जीवन में प्रगति का आशीर्वाद मिलता है।
भद्राकाल के दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य विशेषकर राखी बांधना अशुभ माना गया है। किंतु इस वर्ष का रक्षाबंधन भद्रा से मुक्त है, इसलिए बहनें सुबह से ही भाई की कलाई पर स्नेह की डोर बांध रही हैं।
रक्षाबंधन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह एक व्रत, एक प्रतिज्ञा और एक भावनात्मक वचन है कि हर परिस्थिति में भाई-बहन एक-दूसरे का संबल बने रहेंगे। मिठाइयों की मिठास, राखी के रंग, और मन के स्नेह के साथ आज हर घर में रिश्तों की यह डोर और भी मज़बूत हो रही है।
आज का दिन इस बात का प्रमाण है कि चाहे समय बदल जाए, पर भाई-बहन का यह पवित्र रिश्ता हमेशा अनमोल और अटूट रहेगा रिश्ता जो शब्दों से नहीं, दिल से बंधा है।