Bihar Vidhansabha Chunav 2025: सत्ता के अखाड़े में जाति, लव-कुश समीकरण का 50 से 60 सीटों पर पड़ सकता है प्रभाव, गठबंधन और रणनीति के खेल में कौन मारेगा बाजी

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासी सरगर्मी में चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद एक बार फिर लव-कुश समीकरण चर्चा का केंद्र बन गया है। ...

सत्ता के अखाड़े में जाति, लव-कुश समीकरण का 50 से 60 सीटों पर पड़ सकता है प्रभाव- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासी सरगर्मी में चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद एक बार फिर लव-कुश समीकरण चर्चा का केंद्र बन गया है। यह समीकरण, यानी कुर्मी और कोइरी जाति का वोट बैंक, नीतीश कुमार और उनकी JDU के लिए हमेशा से राजनीतिक मजबूत आधार रहा है। लेकिन अब हालात बदलते नजर आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा संकेत JDU के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा का RJD में जाना है। कुशवाहा, जो कोइरी समाज से आते हैं, ने RJD जॉइन करने के बाद यह बयान दिया कि “JDU अब लव-कुश वाली पार्टी नहीं रही।”

इस बयान ने बिहार के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। दरअसल, लव-कुश वोट बैंक बिहार की लगभग 7 प्रतिशत वोट शक्ति को नियंत्रित करता है, जिसमें कुर्मी लगभग 3 प्रतिशत और कोइरी लगभग 4 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। ये दोनों जातीय समूह पटना, मुंगेर, समस्तीपुर, खगड़िया, सारण, आरा और बक्सर जैसी 50-60 सीटों पर सीधे असर डालते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कुर्मी समुदाय के 81 प्रतिशत और कोइरी के 51 प्रतिशत मतदाताओं ने NDA के पक्ष में वोट किया था, जबकि अति पिछड़ा वर्ग और महादलितों के समर्थन ने भी एनडीए की जीत को मजबूत किया।

अब RJD की ओर से संतोष कुशवाहा को अपने साथ जोड़ना, महागठबंधन के लिए नीतीश कुमार के वोट बैंक को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी RJD ने कुशवाहा उम्मीदवारों को खड़ा कर कोइरी-कुर्मी समीकरण में सेंध लगाने की कोशिश की थी। ऐसे में अगर यह जातीय समीकरण टूटता है तो NDA के लिए चुनावी चुनौती बढ़ जाएगी।

सियासत के मंच पर अब तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर का मुकाबला भी जोर पकड़ रहा है। प्रशांत किशोर ने संकेत दिए हैं कि राघोपुर में उनकी एंट्री तेजस्वी के लिए चुनौतीपूर्ण होगी। उनका दावा है कि तेजस्वी यादव अपने लिए दूसरी सीट खोज रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे राहुल गांधी अमेठी छोड़कर वायनाड गए थे। हालांकि, इतिहास राघोपुर में RJD के पक्ष में बोलता है। पिछले तीन दशकों में 8 चुनावों में से 7 बार लालू परिवार ने राघोपुर पर कब्ज़ा रखा है। यादव मतदाताओं की लगभग 30-35 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाताओं की 5-7 प्रतिशत हिस्सेदारी, RJD की जीत के लिए निर्णायक मानी जाती है।

वहीं, NDA और महागठबंधन के बीच सीट शेयरिंग को लेकर क्लेश जारी है। NDA में उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी नाराज हैं। उपेंद्र कुशवाहा 8 सीटें और मांझी 15 सीटों की मांग कर रहे हैं। दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठकों के जरिए इस विवाद को सुलझाने की कोशिश चल रही है। महागठबंधन में भी सीटों का विवाद हल करने के लिए तेजस्वी यादव और लालू यादव दिल्ली आने की चर्चा है। मुकेश सहनी की शर्तों ने महागठबंधन में 25 सीटों पर अड़चन पैदा कर रखी है, वहीं कांग्रेस 54 सीटों पर सुलह कर चुकी है, पर 4 सीटों पर उनका दावा बाकी है।

इस राजनीतिक खेल में जाति, गठबंधन और रणनीति के तीन तत्व बिहार की सत्ता को प्रभावित करेंगे। लव-कुश समीकरण टूटे या बना रहे, राघोपुर में तेजस्वी और प्रशांत किशोर की टक्कर हो या NDA के भीतर सीटों पर क्लेश, बिहार की राजनीति अब खुले अखाड़े की तरह सजी है। सत्ता के लिए लड़ाई में वोट बैंक, जाति समीकरण, गठबंधन की मजबूती और नेताओं की व्यक्तिगत रणनीति निर्णायक साबित होंगे।