बिहार के 4.76 करोड़ मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से कटने का खतरा ! 'विशेष गहन पुनरीक्षण' ने बढ़ाई चिंता, चुनाव आयोग से बड़ी मांग

मतदाता सूची के 'विशेष गहन पुनरीक्षण' से 4.76 करोड़ मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से कटने का खतरा मंडरा रहा है. योगेंद्र यादव ने बड़ा दावा किया है.

special intensive revision of voter list- फोटो : news4nation

Bihar vidhansabha election : बिहार विधानसभा चुनाव के पहले वैध मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करने के लिए हो रहे 'विशेष गहन पुनरीक्षण' से 4.76 करोड़ मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से कटने का खतरा मंडरा रहा है. राजनीतिक कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव ने यह अंदेशा जताते हुए बिहार में लोकतंत्र के नाम पर प्रशासनिक NRC की शुरुआत करने का केंद्र पर कथित आरोप लगाया है. वहीं राजद सहित अन्य विपक्षी दल भी बिहार मतदाताओं के खिलाफ इसे एक बड़ी साजिश करार दे रहे हैं जिससे लाखों मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से कट सकता है. 

योगेंद्र यादव ने सवाल किया है कि क्या बिहार में लोकतंत्र को चुपचाप नष्ट करने की तैयारी है? उन्होंने कहा कि 24 जून को चुनाव आयोग ने “विशेष गहन पुनरीक्षण” का जो आदेश जारी किया है, वह पहली नज़र में एक तकनीकी प्रक्रिया दिखती है, लेकिन असल में यह एक चुनावी जनगणना है, जो करोड़ों नागरिकों को मताधिकार से वंचित कर सकती है। जिस किसी का नाम 2003 की सूची में नहीं है, उसे अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। 


उन्होंने कहा कि जिनके पास न जन्म प्रमाणपत्र है, न मैट्रिक का प्रमाण, न जाति प्रमाण — वे वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि हमने गणना की है करीब 4.76 करोड़ बिहारवासी इस प्रक्रिया की चपेट में आ सकते हैं — सिर्फ इसलिए नहीं कि वे अवैध प्रवासी हैं, बल्कि इसलिए कि सरकार कभी उनके परिवार को दस्तावेज़ ही नहीं दे सकी।


उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग का यह निर्णय अचानक 22 साल बाद क्यों आया है. बिहार में चुनाव से 3 महीने पहले ही क्यों इसे लाया गया है? इतना ही नहीं बिना राजनैतिक दलों-संगठनों से चर्चा किए क्यों इसे लागू किया जा रहा है. क्या यह लोकतंत्र के नाम पर प्रशासनिक NRC की शुरुआत है? उन्होंने चुनाव आयोग के इस आदेश को तुरंत रद्द करने की मांग की है.  


तेजस्वी भी चिंतित 

नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव भी चुनाव आयोग के बिहार मतदाता सूची के लिए नई घोषणा पर चिंता जता चुके हैं. उन्होंने कहा कि आखिरी बार ये कब किया गया था ये मुझे याद भी नहीं है। फिर से नया वोटर लिस्ट 25 दिनों में बनाया जाएगा, ये असंभव है। 8 करोड़ लोगों के घर-घर आप कैसे जाएंगे? ऐसे कागज मांगे जा रहे हैं जो गरीबों के पास हैं ही नहीं। बाढ़ में बिहार के 73% क्षेत्र डूबे रहते हैं। लोग अपना जान बचाएंगे या चुनाव आयोग को कागज देंगे। इसमें आधार कार्ड की मान्यता नहीं है। आपको माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र देना पड़ेगा। बिहार के कितने लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र हैं? ये एक साजिश हैं। आखिरी बार इसमें 2 साल लगे थे। 25 दिनों में इसे कैसे पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह नीतीश कुमार और भाजपा के चुनाव हारने के डर के कारण हो रहा है।