Bihar Vidhansabha Chunav 2025: जय हिंद से जन सेवा तक, पूर्व IPS शिवदीप लांडे अररिया या जमालपुर से लड़ेंगे निर्दलीय चुनाव, बनाई अपनी पार्टी हिंद सेना
सख़्त और ईमानदार पुलिस अफ़सर की छवि के लिए जाने जाने वाले लांडे ने ऐलान किया कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में अररिया या जमालपुर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरेंगे।
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासत में एक नया चेहरा, मगर पुरानी पहचान के साथ एंट्री कर चुका है पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप वामनराव लांडे। सख़्त और ईमानदार पुलिस अफ़सर की छवि के लिए जाने जाने वाले लांडे ने बुधवार को फेसबुक लाइव के ज़रिए यह ऐलान किया कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में अररिया या जमालपुर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरेंगे।
2006 बैच के बिहार कैडर आईपीएस रहे लांडे ने सितंबर 2024 में पुलिस सेवा से इस्तीफा दिया था। इस्तीफे के कुछ ही महीनों बाद, अप्रैल 2025 में उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी ‘हिंद सेना’ की स्थापना की। लांडे ने पार्टी के नाम को लेकर कहा था कि मैंने अपनी हर सरकारी सेवा की शुरुआत ‘जय हिंद’ से की, इसलिए अपनी राजनीति की शुरुआत में भी ‘हिंद’ को सम्मान देना मेरा कर्तव्य है।
शिवदीप लांडे बिहार के उन गिने-चुने अफसरों में रहे हैं जिनकी लोकप्रियता अफसरशाही की सीमाओं से बाहर निकलकर जनता के दिलों में बस गई। अररिया, पूर्णिया, और पटना जैसे संवेदनशील जिलों में बतौर एसपी उन्होंने अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ कई सख़्त अभियान चलाए। उनके ट्रांसफर के वक्त पटना से अररिया तक लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर उनके समर्थन में सड़कों पर उतर आए थे जो किसी पुलिस अफ़सर के लिए अद्भुत दृश्य था।
सोशल मीडिया पर भी उनकी लोकप्रियता किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है। फेसबुक पर 8.1 लाख, इंस्टाग्राम पर 2.1 लाख, और ट्विटर (एक्स) पर 4,300 से अधिक फॉलोअर्स उनके हर कदम पर नज़र रखते हैं। जनता के बीच उनकी छवि “जनता के पुलिसवाले” के रूप में जानी जाती रही है सख़्ती के साथ संवेदनशीलता का संगम।
राजनीतिक गलियारों में अब चर्चा है कि लांडे की यह एंट्री बिहार की पारंपरिक सियासत में नई लहर पैदा कर सकती है। एक ओर भ्रष्टाचार और जातीय समीकरणों से ऊबे युवा मतदाता उन्हें ‘ईमानदारी का चेहरा’ मान रहे हैं, तो दूसरी ओर पुराने राजनीतिक दल उनकी बढ़ती लोकप्रियता को लेकर सतर्क हैं।
लांडे का यह सियासी सफर ‘थाने से विधानसभा तक’ का प्रतीक बनता दिख रहा है। उन्होंने यह साफ कर दिया है कि उनकी राजनीति धर्म या जाति के नहीं, राष्ट्र और सेवा के मुद्दों पर आधारित होगी।
जैसे वे पुलिसिंग में कहते थे “कानून से बड़ा कोई नहीं,” वैसे ही अब उनकी राजनीति का नारा गूंज रहा है “जनता से बड़ा कोई नहीं।”