Bihar Vidhansabha Chunav 2025: जदयू के बड़बोले विधायक गोपाल मंडल का कटा टिकट! चुनाव से पहले एक्शन में नीतीश, परफॉर्मेंस बेस्ड फॉर्मूला लागू
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: गोपालपुर विधानसभा से सिटिंग विधायक गोपाल मंडल का टिकट कटने की संभावना है।
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच जेडीयू में टिकट की राजनीति ने नया मोड़ ले लिया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार “परफॉर्मेंस बेस्ड टिकट फॉर्मूला” लागू किया जा रहा है। यानी वे विधायक जो अपने क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे या जिनकी छवि विवादों में रही, उन्हें इस बार पार्टी की ओर से टिकट नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं चुनाव से पहले संगठन और उम्मीदवारों की समीक्षा कर रहे हैं।
सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि इस बार बिहार चुनाव में जेडीयू के कुछ सिटिंग विधायकों की कुर्सी खतरे में है। खास तौर पर गोपालपुर विधानसभा से विधायक गोपाल मंडल का टिकट कटने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी के अंदर यह कदम केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा नहीं, बल्कि नेताओं की सक्रियता और जनसंपर्क पर आधारित कड़ा संदेश भी माना जा रहा है। बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग पर अभी सहमति नहीं बनी है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी रणनीति पर काम तेज कर दिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार लगभग 110 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली गई है और पहले चरण की कई सीटों पर नामों पर मुहर भी लग चुकी है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में टिकट कटने और नेताओं के बीच टकराव का असर विधानसभा की राजनीति पर महत्वपूर्ण रूप से पड़ सकता है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में पूरी तरह से व्यक्तिगत प्रदर्शन और क्षेत्रीय प्रभाव को ध्यान में रख रहे हैं। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि केवल अनुभव या पार्टी में वरिष्ठता ही निर्णायक नहीं होगी, बल्कि जनता के बीच सक्रियता और छवि की शुद्धता भी टिकट पाने में हम भूमिका निभाएगी।
विश्लेषकों का मानना है कि इस रणनीति का उद्देश्य पार्टी में अनुशासन बनाए रखना और संभावित विवादों से बचना है। इसके अलावा, यह फॉर्मूला पार्टी को चुनावी माहौल में मजबूत और केंद्रित बनाए रखने में मदद करेगा। जेडीयू के नेताओं के अनुसार, टिकट कटने या मिलने का फैसला पारदर्शी और प्रदर्शन आधारित होगा, जिससे कार्यकर्ताओं में प्रतिस्पर्धा की भावना भी बढ़ेगी।
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि इस बार की टिकटिंग में व्यक्तिगत रुतबा और क्षेत्रीय समीकरण दोनों को संतुलित तरीके से देखा जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले चरण की कई सीटों पर नामों पर मुहर भी लगा दी है और लगभग 110 सीटों की सूची तैयार कर ली है। इस कदम से यह साफ हो गया है कि पार्टी किसी भी तरह के निष्क्रिय या विवादास्पद नेता को आगामी चुनाव में बढ़त नहीं देना चाहती।
बता दें हाल ही में विधायक गोपाल मंडल ने सांसद अजय मंडल की भांजी के बारे में घिनौने आरोप लगाए। इस पर आहत होकर सांसद ने घोघा थाने में मानहानि का केस दर्ज करवाया। गोपाल मंडल ने इसके अलावा अफीम की कथित खेती, शराब के अवैध धंधे और रेल पटरी तथा बिजली तार चोरी के पुराने आरोप भी दोहराए। उन्होंने सांसद को “पॉकेटमारों का सरदार” कहकर चुनौती दी कि यदि मैं झूठ बोल रहा हूं तो संसद भवन के मेडिकल सेंटर से जांच कर ली जाए।
गोपाल मंडल ने यह भी कहा कि जब महिला नेत्री का संबंध मुंगेर जिले से है, तो उसे भागलपुर जिले का प्रभारी बनाना उचित नहीं था। इसके अलावा नवगछिया के जेडीयू जिलाध्यक्ष को भी उन्होंने खरीखोटी सुनाई। राजनीतिक गलियारों में यह विवाद केवल व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर गुटबाजी का आईना है।
महिला को लेकर विवादित बयान से शुरू हुआ यह टकराव अब पार्टी नेतृत्व के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। चुनावी साल में ऐसे आरोप-प्रत्यारोप न केवल नेताओं की छवि पर असर डालते हैं, बल्कि पार्टी की साख और एकजुटता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर सकते हैं।