jharkhand assembly election 2024: चुनाव से कुछ दिन पहले चर्चा जोरों पर है, नौकरशाह भी नहीं चाहते कि चंचल नाम का शख्स फिर से पावर में आए
चंचल गोस्वामी का राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव चंपई सोरेन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। बीजेपी में शामिल होने के बाद चंपई की छवि उनके क्षेत्र के लोगों के बीच कमज़ोर हो रही है।
Jharkhand assembly election 2024: झारखंड की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के करीबी चंचल गोस्वामी का नाम इन दिनों विवादों में है। राज्य के कई नौकरशाह और प्रशासनिक अधिकारी चंचल के फिर से पावर में आने का विरोध कर रहे हैं। चंचल पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर करोड़ों रुपये हड़पने का आरोप है, जिससे अधिकारियों में असंतोष और नाराजगी है।
चंचल गोस्वामी: साधारण स्टेज कलाकार से करोड़पति बनने तक का सफर
चंचल का सफर साधारण स्टेज कलाकार के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे वह चंपई सोरेन के करीबी बन गए। चंपई के प्रभाव में आकर उन्होंने पहले उषा मार्टिन और बाद में टाटा स्टील में नौकरी की। चंपई के सत्ता में आते ही चंचल का रुतबा और बढ़ता चला गया। उनकी पकड़ सिर्फ सरायकेला तक नहीं, बल्कि मेट्रो शहरों तक फैल गई। एक साधारण कर्मचारी होते हुए भी उन्होंने जमशेदपुर के सर्किट हाउस क्षेत्र में बंगलो और रांची में चंपई सोरेन के आवास के पास क्वार्टर अलॉट करा लिया। समय के साथ चंचल ने अपना प्रभाव और संपत्ति बढ़ाते हुए करोड़ों की संपत्ति जमा कर ली।
चंचल बना चंपई के कुर्सी का ग्रह
चंपई सोरेन के राजनीतिक करियर में चंचल का प्रभाव एक ग्रहण के रूप में देखा जा रहा है। जब हेमंत सोरेन जेल में थे, तब चंचल ने उनके करीबियों को किनारे लगाकर अपने लिए बड़ी-बड़ी डील करना शुरू कर दिया। चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने में चंचल की अहम भूमिका मानी जा रही है, जहां उन्होंने बीजेपी के ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की कार्रवाई से बचने के लिए चंपई का उपयोग किया। चंपई अब बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन यह स्थिति उनके समर्थकों और क्षेत्र के लोगों को पसंद नहीं आ रही है।
चुनावी अभियान पर चंचल का प्रभाव
चंपई सोरेन की राजनीति हमेशा से ज़मीन से जुड़ी रही है। वे आम लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनते थे, लेकिन इस बार चंचल के हाईटेक चुनावी अभियान ने चंपई की छवि को बदल दिया है। उनके क्षेत्र के लोग उनसे सीधे नहीं मिल पा रहे हैं, और चंपई का प्रचार भी सीमित हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चंचल के इस रवैये से चंपई की चुनावी स्थिति कमजोर हो सकती है। चंचल के बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से संबंध बनाने की कोशिश और चंपई के ऊपर नियंत्रण की इच्छा उनके भविष्य के राजनीतिक मकसद को दिखाती है।