IAS Santosh Verma -ब्राह्मण की बेटी चाहिए... मांग करनेवाले आईएएस संतोष वर्मा को सभी पदों से हटाया, केंद्र से बर्खास्तगी की सिफारिश, बिहार विधानसभा में भी गूंजा था मामला
IAS Santosh Verma -आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई की है। राज्य सरकार ने वर्मा को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू करते हुए केंद्र सरकार को सिफारिश भेज दी है।
Bhopal : मध्य प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचाने वाले एक फैसले के तहत विवादित आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा को सेवा से बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने वर्मा की बर्खास्तगी की सिफारिश केंद्र सरकार को भेज दी है। सरकार की जांच में यह बात सामने आई है कि संतोष वर्मा ने राज्य प्रशासनिक सेवा (SAS) से आईएएस कैडर में पदोन्नति पाने के लिए फर्जी और जाली दस्तावेजों का सहारा लिया था।
फर्जी सर्टिफिकेट भी हासिल किया
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि उन्होंने एक जज के साथ साजिश रचकर अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों में बरी होने के लिए मनगढ़ंत फैसले तैयार करवाए और फर्जी 'इंटीग्रिटी सर्टिफिकेट' हासिल किया।
संतोष वर्मा की मुश्किलें उनके हालिया विवादित बयानों ने और बढ़ा दीं। 23 नवंबर 2025 को भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने आरक्षण और ब्राह्मण समाज को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि "आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को न दे दे।"
बिहार विधानसभा में हुई कार्रवाई की मांग
इस बयान को लेकर देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। इस बयान की गूंज पड़ोसी राज्य बिहार तक भी पहुंची। बिहार विधानसभा में गोविंदगंज के विधायक और लोजपा (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया था। उन्होंने सदन में आईएएस संतोष वर्मा के इस अमर्यादित बयान की कड़ी निंदा करते हुए उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की थी।
विभागीय जांच और चौतरफा विरोध को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने अब कड़ा रुख अपनाया है। सरकार ने माना है कि वर्मा का आचरण सेवा नियमों का सीधा उल्लंघन और गंभीर दुर्व्यवहार है। कार्रवाई करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से कृषि विभाग के उप सचिव पद से हटाकर बिना किसी प्रभार के जीएडी पूल में भेज दिया गया है।
अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के तहत उन पर औपचारिक आरोप पत्र जारी कर दिया गया है। अब अंतिम निर्णय केंद्र सरकार के पाले में है, जो राज्य की सिफारिश पर मुहर लगाकर उनकी सेवा समाप्ति का आदेश जारी करेगी।