Mahakumbh 2025 : कनाडा में लाखों का पैकेज छोड़कर बाबा बन गए IIT BOMBAY के पास आउट अभय सिंह, जानिए कितनी मिलती थी सैलरी

Mahakumbh 2025 : महाकुम्भ मेले में आईआईटी बॉम्बे से पास आउट अभय सिंह का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है. लेकिन बाबा कनाडा में मोटी तनख्वाह पाते थे...जानिए आगे

Mahakumbh 2025 : कनाडा में लाखों का पैकेज छोड़कर बाबा बन गए IIT BOMBAY के पास आउट अभय सिंह, जानिए कितनी मिलती थी सैलरी
आईआईटीयन बाबा - फोटो : SOCIAL MEDIA

N4N DESK : प्रयागराज में आस्था का महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से शुरू हो गया है जो 26 फ़रवरी 2025 को समाप्त होगा। बता दें की 12 साल में एक बार महाकुंभ मेला लगता है। प्रयागराज को सभी कुंभ मेलों में सबसे पवित्र माना गया है। जहां महाकुम्भ के दौरान दुनिया भर के साधु संत और भक्त आस्था की डुबकी लगाते हैं। नागा साधुओं को लेकर कई कहानियां है। नागा साधुओं के बारे में कहा जाता है कि प्राचीन तपस्वी हैं जो हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति में विद्यमान है। नागा साधु चेतन की उच्चतम आस्था को प्राप्त करने के लिए कठोर ब्रह्मचारी का पालन करते हैं।

इसी क्रम में महाकुंभ शुरू होने के कुछ ही दिनों बाद चर्चा में आए आईआईटियन बाबा ने जीवन को लेकर मीडिया से खुलकर बात की। बाबा अपने बारे में बताते हुए कहा कि वह कनाडा से नौकरी कर वापस आए हैं। और किताब भी लिख चुके हैं। आगे बाबा बताते हैं कि लाखों रुपए की सैलरी छोड़कर इंडिया लौट आए थे। कई महीनो से उनका घर वालों से संपर्क नहीं हुआ है। आईआईटी बाबा का नाम अभय सिंह है जो की हरियाणा के झज्जर के सासरौली गांव से आते हैं। उनकी पढ़ाई आईआईटी बंबई से हुई है। उन्होंने बताया कि 10 तारीख को 144 साल बाद लगने वाले इस महाकुंभ में आए थे। आईआईटियन बाबा यह भी कहते हैं कि मैं अपने आप को न संत मानता हूं और ना साधु। लेकिन आप लोग मुझे बैरागी कह सकते हैं। मैंने अभी तक गुरु नहीं बनाया है। लेकिन उन्होंने कहा कि जिसने भी मुझे मार्गदर्शन किया। वह हमारे गुरु हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मैंने बीटेक किया है। एरोस्पेस इंजीनियरिंग में आईआईटी बंबई से की। इसके बाद आईआईटी बॉम्बे से विजुअल कम्युनिकेशन की पढ़ाई की। बीटेक के समय भी वह दर्शनशास्त्र के कोर्सेज लेते थे कि जीवन क्या है। आईआईटी बाबा की सैलरी भारत में करीब ₹3 लाख का महीना था। लेकिन कनाडा में दो से ढाई लाख रुपए खर्च हो जाता था। साल 2019 में कनाडा गए थे। उन्होंने कहा कि मैंने कुछ दिनों तक कनाडा में काम किया। कहा की हमारी एक बहन है वह कनाडा में है। 3 साल कनाडा में काम करके वह भारत आए। 

आध्यात्मिक दुनिया को लेकर उन्होंने कहा कि मैं पश्चिमी सभ्यता में ही जी कर देख लिया। सब ऊपर ऊपर का है। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए आईआईटियन बाबा ने कहा कि काम करते हुए मुझे ऐसा लगा कि पैसा कमा कर कोई फायदा नहीं है। इसमें ज्यादा खुशी नहीं मिलेगी। यह बिजनेस वालों के पास पैसा होते हुए भी खुश नहीं है। उस समय क्रेज था कि पैशन फॉलो करो। जो काम करना पसंद है तो उसे कर खुश रह पाओगे। उन्होंने कहा कि ट्रैवल फोटोग्राफी की, फिल्म मेकिंग की मार्केटिंग की। लेकिन उससे मन भर गया। मैं घर में बैठकर सद्गुरु की क्रिया और ध्यान करता था। लेकिन घर वालों को लगा कि यह लड़का हाथ से निकल गया है। यह तो बाबा बन जाएगा और किसी गुफा में बैठा होगा। मैंने बोला कि मैं इस चीज को समझने की कोशिश कर रहा हूं कि आखिर यह है क्या। करके देखेंगे नहीं तो समझेंगे कैसे। ध्यान करने से बाबा थोड़ी बन जाएंगे। ऐसे नहीं होता है। उन्होंने कहा कि घर वालों की याद नहीं आती। अब सिर्फ महादेव की याद आती है। आपको बता दें कि करीब डेढ़ सालों से घरवालों से बात नहीं हुई है। अपने घर का वह घर का इकलौता पुत्र है। 

वंदना की रिपोर्ट

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