स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए बने अलग कानून, पद्म अवार्ड से सम्मानित 71 लोगों ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी
NEW DELHI : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज में महिला जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर की हत्या की घटना के विरोध में लगातार आवाजें उठ रही है। न सिर्फ बॉलीवुड, बल्कि खिलाड़ियों ने भी इस घटना की निंदा की है और दोषियों को कड़ी सजा की मांग की है। वहीं अब इस घटना को लेकर पद्म सम्मान से सम्मानित डॉक्टरों ने एकजुट होकर आवाज उठाई है।
अलग कानून बनाने की मांग
पद्म सम्मान से सम्मानित 71 डॉक्टरों ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कोलकाता की घटना के प्रति गहरी चिंता व पीड़ा जाहिर की। उन्होंने मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप कर डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए अलग कानून बनाने व अध्यादेश लाने की मांग की है।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव, आइएलबीएस के निदेशक डॉ. एसके सरीन, मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहान, फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. अशोक सेठ, गंगाराम ट्रस्ट सोसाइटी के चेयरमैन डॉ. डीएस राणा, इंडोक्रिनोलाजी के विशेषज्ञ डॉ. अनूप मिश्रा, एम्स के इंडोक्रिनोलजी के विभागाध्यक्ष डा. निखिल टंडन, आईसीएमआर के महानिदेशक डा. एके गांगुली, डा. हर्ष महाजन, डॉ. अरविंद लाल, डॉ. महेश वर्मा, डॉ. यश गुलाटी, डॉ. पुरुषोत्तम लाल, डॉ. जेएम हंस, डॉ. एमवी पद्मा श्रीवास्तव इत्यादि डॉक्टरों के नाम शामिल हैं।
डॉक्टर की सुरक्षा सुनिश्चित हो: पद्म अवार्डी
पत्र में कहा गया है कि कोलकाता जैसी क्रूरता डॉक्टरों द्वारा की जाने वाली सेवा की नींव को हिला देती है। महिलाओं और स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ होने वाली हिंसा को तुरंत रोकने की जरूरत है। पद्म सम्मान से सम्मानित डॉक्टरों ने पत्र में स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए अलग कानून की मांग कर रहे डॉक्टरों का समर्थन किया है और कहा है कि स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा उच्च प्राथमिकता के साथ सुनिश्चित किया जाना चाहिए।