असर्वेक्षित/ टोपो लैंड पर नीतीश सरकार लेगी बड़ा फैसला , विधान परिषद में हुआ ऐलान, समय सीमा तय
छपरा: सारण में असर्वेक्षित भूमिपर निर्माण का काम पूर्णत: ठप्प पड़ा हुआ है. पटना हाईकोर्ट ने सत्येंद्र कुमार सिंह के स्तर पर दायर मुकदमे की सुनवाई के बाद असर्वेक्षित या टोपोलैंड की जमीन की खरीद बिक्री पर लगी रोक को हटाने का निर्देश दिया था. हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार के स्तर पर जारी पत्र से सारण में जमीन की खरीद बिक्री में तेजी आई , इसके बावजूद नगर निगम घर मकान या प्रोजेक्ट के लिए नक्शा पास नक्सा पास नहीं कर रहा है. निगम के अधिकारी असर्वेक्षित भूमि का खाता और खसरा संख्या मांग रहे हैं, जबकि भू- राजस्व विभाग ने ऐसी भूमि पर निर्णाण के लिए सिर्फ होल्डिंग नम्बर रहने पर हीं नक्सा पास करने का आदेश दिया था. विभिन्न प्रोजेक्ट, मॉल, सिनेमा हॉल समेत अन्य योजनाओं के लिए जमीन लेने वालों के लिए नगर निगम बाधक बन रहा है. कथित तौर पर कई असर्वेक्षित / टोपोलैंड लैंड पर निर्माण के लिए मोटी रकम लेकर अनुमति दे दी गई. ऐसे निर्माण भी हुए जिनपर केवल जुर्माना लगा कर छोड़ दिया गया. असर्वेक्षित / टोपोलैंड से जुड़े जमीन से संबंधित नक्शा पर अभी कोई कार्रवाई नहीं करनी है. नगर विकास विभाग से आदेश आने के बाद ही नक्शा पास होगा. यदि नक्शा पास कराना है तो रसीद और जमाबंदी संबंधित कागजात लेकर आये.
राजस्व की हो रही हानि
राज्य में असर्वेक्षित भूमि या टोपोलैंड वाले शहरों में जमीन को खरीद-बिक्री का काम तो चल रहा है, लेकिन वहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है. नगर निगम किसी निर्माण के लिए लोगों का नक्शा ही पास नहीं कर रहा है. ऐसे में छपरा समेत सूबे के 14 शहरों में अपना आशियाना बनाने के अलावा व्यावसायिक कांप्लेक्स, अपार्टमेंट्स और मॉल का निर्माण का काम रुका पड़ा है. असर्वेक्षित जमीन की खरीद-बिक्री तो हो रही है लेकिन निर्माण कार्य पर रोक है. एक पीड़ित का कहना है कि अगर जमीन पर निर्माण नहीं करा सकते तो इतनी महंगी जमीन क्या वे बकरी पालन के लिए लिए खरीदा हैं. लोगों का कहना है कि सरकार को राजस्व तो चाहिए लेकिन उनके दुख दर्द को सुनने की उसे कहां फुर्सत है.
14 जिले हैं प्रभावित
असर्वेक्षित या टोपोलैंड जमीन के दस्तावेजों के खरीद बिक्री पर 2017 में सरकार ने रोक लगा दिया था. इस पर से बिहार सरकार ने अगस्त-2022 में रोक हटा ली.ऐसे जमीनों के रजिस्ट्री-म्यूटेशन भी शुरू हो गया. लेकिन निर्माण पर रोक लगी रही. नगर निगम के अधिकारी विभाग से परामर्श लेने की बात कह कर लोगों को चप्पल घिसने पर मजबूर कर रहे है. छपरा नगर निगम ने तो अपने दीवार पर इसके लिए सूचना चस्पा कर दिया है. ये स्थिति छपरा के साथ साथ पटना,खगड़िया, वैशाली, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय,नालंदा, मुंगेर, गोपालगंज, बक्सर, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण व भागलपुर जिले में भी है. नक्सा पर रोक लगने से सरकारी राजस्व को जहां करोड़ों की हानि हो रही है वहीं कमोबेस दस हजार करोड़ से ज्यादा का प्रोजेक्ट अधर में लटका पड़ा है.
विधान परिषद् में उठा मामला
वहीं बुधवार को विधान परिषद् में असर्वेक्षित या टोपोलैंड जमीन का मामला औरंगाबाद के भाजपा एमएलसी संतोष सिंह और छपरा से एमएलसी सच्चिदानंद राय ने उठाया. जवाब में उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि इसके लिए तीन महीने में कमेटी गठित कर समीक्षा कर समाधान कर लिया जाएगा.
बिहार में अंतिम बार 1920 में सर्वे कराया गया. उस समय शहरी क्षेत्र में जो भूखंड खाली थे उनका तो खाता खेसरा नंबर जारी हो गया लेकिन जिस पर निर्माण हो गया था उनका सर्वे नहीं हो पाया था,ऐसी भूमि भी असर्वेक्षित रह गई, जिसका 2017 के पहले होल्डिंग नंबर के आधार नामांकन और नक्सा पास होता था. 2017 के अपने रोक पर से बिहार सरकार ने अगस्त-2022 में रोक हटाया तो नामांकन का कान तो हो रहा है लेकिन नक्सा पास नहीं हो रहा है. सरकार ने ्गस्त में ेक कमेटी भी बनाई .
किस जमीन को टोपो लैंड कहा जाता है?
जिस जमीन का सर्वेक्षण नहीं हुआ है. जिसका कहीं सरकारी रिकॉर्ड में जिक्र नहीं है. कहीं रसीद नहीं कटता है. जिस प्लॉट का खाता और खेसरा नंबर नहीं है. वैसे जमीनें सरकार की होती है और उसे टोपो लैंड कहा जाता है. बिहार में वैसी जमीनों का झगड़ा बहुत पुराना है.कई पुश्तों से लोगों ने कब्जा कर रखा है. हालांकि उनके पास इसका कोई कागजात नहीं होता है. दरअसल टोपोग्राफी (स्थलाकृति) ग्रहविज्ञान की एक शाखा है. इसमें पृथ्वी या किसी ग्रह, उपग्रह या क्षुद्रग्रह की सतह के आकार और आकृतियों का अध्ययन किया जाता है. नक्शों के निर्माण में टोपोग्राफी का खास महत्व है. इसमें शहर या किसी जगह की विस्तृत जानकारी दी जाती है. अंग्रेजों ने छपरा का टोपोग्राफी 1898-99 में कराया था. उसी के आधार पर शहर का नक्शा तैयार किया गया. इस सर्वे मैप में रोड, नाला, गली, कुआं, पोखरा, पुलिस लाइन वगैरह सब अंकित है.
सरकार ने दिया भरोसा
वहीं राज्य सरकार ने असर्वेक्षित भूमि/टोपो लैंड पर जल्द ही नीति निर्धारित करने की बात कही है. इसके लिए तीन माह का समय लिया गया है. विधान परिषद् में उपमुक्यमंत्री विजय सिंहा ने सदन को बताया कि टोपो लैंड के सर्वेक्षण के लिए विभागीय दिशा निर्देश निर्धारित करने की कार्रवाई जल्दी हीं पूरा कर लिया जाएगा. सरकार इसका जल्दी हीं समाधान निकाल लेगी