नेता-अफसर बेनकाब: मोतिहारी में सत्ताधारी 'नेताजी' ने प्रतिबंधित जमीन करोड़ो रू में 10 लोगों के हाथ कर दी रजिस्ट्री

MOTIHARI: बिहार में सरकारी या मठ-मंदिर की जमीन को भू-माफियाओं से बचाना सरकार के वश में नहीं। आखिर हो भी कैसे? जिनके कंधे पर बचाने की जिम्मेदारी है उनकी भूमिका ही संदिग्ध है. फिर सरकारी संपत्ति बचेगी कैसे? आज के इस सुशासन राज में यह बड़ी समस्या हो गई है।अफसर खुल्लम-खुल्ला गड़बड़ कर रहे। माफियाओं से मिलकर सरकारी संपत्ति को लूट रहे हैं। हद तो तब हो जाती है जब कनीय अधिकारियों को भी गलत काम करने के लिए वरीय की तरफ से दबाव बनाया जाता है।
बेनकाब हुआ नेता-अफसर का कारनामा
पूर्वी चंपारण के निबंधन विभाग में एक बार फिर से इसी तरह के मामले सामने आये हैं। अब इसमें एक-एक बात निकलकर सामने आ रही है।सत्तारूढ़ दल के नेता जी ने प्रतिबंधित सरकारी जमीन की रजिस्ट्री करा दस लोगो के हाथ करोड़ों में आननःफानन में बिक्री कर दिया। बताया जाता है कि गलत काम करने के लिए एक अधिकारी को उनके बड़े हाकिम की तरफ से फोन भी आया था। वैसे अब मामले का खुलासा हो गया है और नेताजी से लेकर माफिया व अधिकारी बेपर्दा हो गये हैं। न्यूज4नेशन के खुलासे के बाद अंदर ही अंदर हड़कंप है और एक-दूसरे पर थोपने की कोशिश की जा रही है। बड़ा सवाल यही है कि सत्ताधारी ऐसे ही नेताओं को दल की जिम्मेदारी देता है।
सत्ताधारी नेता जी का अफसर से गठजोड़ तो कैसे बचेगी सरकारी जमीन?
सत्तारूढ़ दल के नेताजी अधिकारियों से मिलकर प्रतिबंधित जमीन को अपने पास की जमीन में मिलाकर पहले बाउंड्री कराया। उसके बाद फर्जीवाड़ा कर दस आदमी के बीच करोड़ो रू में बेच दिया गया । यह सबकुछ प्रशासन के आंख के सामने हुआ लेकिन सारे अफसर देखते रहे। बता दें, मोतिहारी के अरेराज में सत्तारूढ़ दल के एक नेता व अधिकारियों की मिलीभगत से रोक पंजी में दर्ज प्रतिबंधित वाली करोड़ो की जमीन बेच दी गई। मामला पूर्वीचंपारण के अरेराज निबंधन कार्यालय का है। निबंधन कार्यालय की मिलीभगत से रोक पंजी में दर्ज जमीन का खाता व खेसरा बदलकर जमीन की बिक्री कर दी गई। इस खेल में लाखों का खेल होने से इंकार नही किया जा सकता। जिले में रक्सौल के बाद अरेराज की जमीन बहुत कीमती है। नेता, पदाधिकारी व निबंधन कार्यालय के इस खेल का खुलासा तब हुआ जब दस्तावेज दाखिल खारिज के लिए अंचल कार्यालय पहुंचा।कागज अंचल कार्यालय पहुंचने पर पता चला कि एक दर्जन लोगो के साथ नेताजी खाता-खेसरा बदलकर जमीन रजिस्ट्री करा लिये। नेता जी सत्तापक्ष से जुड़े हैं और जिले में दल के बड़े पदधारक हैं। साथ ही वे कद्दावर नेता भी माने जाते हैं। नेताजी ने प्रतिबंधित जमीन का खाता-खेसरा बदलकर रजिस्ट्री करा ली। हालांकि उनकी चालाकी धर ली गई है। नेताजी की चालाकी धरी गई तो एक बड़े अधिकारी ने फोन कर सबकुछ ठीक करने को कहा। नेता जी सत्ताधारी दल से जुड़े हैं और पैसे वाले हैं। पैसे के बल पर वे एक बड़े कद्दावर नेता के करीबी हो गये हैं। न्यूज4नेशन ने 2 दिन पहले इस बड़े मामले का खुलासा किया था। इसके बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप है।
नेता अफसर व निबंधन कार्यालय में भारी फर्जीवाड़ा का खेल
रोक पंजी में दर्ज यानी उस जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकती। इसके बाद जमीन को हड़पने का नया तरीका अपनाकर नेताजी ने अधिकारी व निबंधन कार्यालय के मेल से करोड़ो की जमीन रजिस्ट्री करा ली। रोक पंजी की जमीन का खाता-खेसरा बदलकर बेशकीमती जमीन को बेच दिया गया । सबसे रोचक बात तो यह है कि खाता खेसरा बदलकर बेचे गए जमीन पर पदाधिकारियो की जानकारी में खरीदारों द्वारा कब्जा भी किया जा रहा है । फर्जीवाड़ा का खुलासा तो तब हुआ जब जमीन बिक्री के बाद खरीददार दाखिल खारिज के लिए अंचल में आवेदन दिये। अंचल कार्यालय में आवेदन मिलने के बाद हड़कम्प मच गया । अंचल सूत्रों की मानें तो तीन दस्तावेज खाता-खेसरा बदलकर दाखिल खारिज के लिए आया था । जिसको सीओ ने रद्द कर दिया । अब चर्चा का विषय बना हुआ है कि जब अधिकारी अपनी सरकारी संपत्ति की रक्षा नही कर पा रहे तो आम आदमी को क्या न्याय मिलेगा? अगर सूक्ष्म तरीके से ईमानदार एजेंसी से इसका जांच कराई जाये तो बड़े बड़ी फर्जीवाड़ा का खुलासा हो सकता है।
जानें पूरा मामला
अरेराज अनुमंडल क्षेत्र के आम गैरमजरूआ,सैरात,मठ मंदिर ,बेतिया राज सहित सरकारी की जमीन खरीद बिक्री से भूमाफियाओं से बचाने के लिए तत्कालीन एसडीओ धीरेन्द्र कुमार मिश्र व सीओ वकील सिंह ने खाता-खेसरा, रकबा सहित जमीन को रोक पंजी में दर्ज कराया था । लेकिन इधर अधिकारियों,निबंधन कार्यालय व नेता जी की मिलीभगत से बड़े फर्जीवाड़ा की चर्चा जोरों पर है। करोड़ो की जमीन उक्त लोगो की मिलीभगत से खाता खेसरा बदलकर बेच दिया गया । इतना ही नही चर्चा है कि इसके बाद रोक पंजी में दर्ज दूसरे करोड़ो की जमीन खरीद बिक्री के लिए एक अनुमंडल के बड़े अधिकारी कनीय अधिकारी पर भी दबाव बना रहे हैं । बिक्री की गई खाता-खेसरा की जमीन सड़क किनारे की बतायी जा रही है। रसूखदार नेता जी व पदाधिकारी के नाम खुलासा अगली कड़ी में होगा।