कल है हरियाली तीज का त्योहार ,जानिये पूजा करने के विधि- विधान

DESK: हिंदु धर्म में सावन के महीने का बहुत खास महत्व है.इस महीने में भगवान शिव की अराधना की जाती है. साथ ही साथ इस मास के शुक्ल तृतीया तिथि को  हरियाली तीज का लोकपर्व भी मनाया जाता है.पूरे उत्तर-भारत में तीज का पर्व बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाते हैं . इस त्योहार को श्रावणी तीज या हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष हरियाली तीज तृतीया तिथि 22 जुलाई को शाम 07 बजकर 23 मिनट से आरम्भ होकर 23 जुलाई को शाम 05 बजकर 02 मिनट तक रहेगी. हरियाली तीज के मौके पर हर तरफ हरियाली की छटा छा जाती है.महिलाए पेड़ों पर इस दिन झूला झूलते हुए मधुर गीत गाती हैं.सुहागन महिलायें श्रृंगार कर मां पार्वती की अराधना करती है.

तीज पर भूलकर भी न करें ये काम

हर‍ियाली तीज सुहागिन महिलाओं के ल‍िए अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण त्योहार होता है. इस द‍िन सुहागिनें देवी पार्वती और महादेव की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना भी करती हैं. इस व्रत को लेकर जहां कुछ व‍िध‍ि-व‍िधान हैं वहीं कुछ ऐसे भी कार्य हैं जो इस द‍िन सुहाग‍िनों को नहीं करने चाहिए.अन्‍यथा अगले जन्‍म में अजगर-सांप या फिर अन्‍य वन्‍यजीवों के रूप में जन्‍म लेना पड़ता है.

व्रत के दौरान इन बातों का रखें ख्याल

हर‍ियाली तीज का व्रत न‍िर्जला रहकर ही क‍िया जाता है. इसलिए इस द‍िन व्रत करने वाली सुहाग‍िनों को भूलकर भी कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए. मान्‍यताओं के अनुसार अगर सुहाग‍िनें इस द‍िन कुछ अन्न ग्रहण कर लें तो अगले जन्‍म में उन्‍हें वानर रूप में जन्‍म लेना पड़ता है. लेक‍िन अगर क‍िसी को कोई बीमारी या तकलीफ हो तो ऐसी स्थिति में उन्‍हें विद्वानों की राय जरूर ले लेनी चाहिए.हरियाली तीज के दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरी चूड़ीयां, सोलह श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने की परंपरा भी है. इस दिन लड़कियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां आती हैं. नवविवाहिताओं के लिए ये पर्व बहुत खास होता है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं पति व संतान की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं, वहीं, भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि ऐसा करने से महिलाओं को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.