वोटर लिस्ट पुनरीक्षण की लड़ाई अब पहुंची सुप्रीम कोर्ट, महिला सांसद ने दायर की याचिका, करोड़ों मतदाताओं के खिलाफ बताया साजिश

वोटर लिस्ट के चल रहे पुनरीक्षण की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. इसके खिलाफ शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई है जिसमें गंभीर चिंता जताई गई है.

 scrutiny of voter list in Bihar
scrutiny of voter list in Bihar- फोटो : news4nation

Bihar Voter List: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले वोटर लिस्ट के चल रहे पुनरीक्षण की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. पश्चिम बंगाल की सांसद महुआ मोइत्रा ने बिहार में वोटर लिस्ट (मतदाता सूची) की खास जांच के चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यह आदेश गलत है और इससे कई लोगों के वोट देने का अधिकार छिन सकता है।


महुआ मोइत्रा की चिंताएं

महुआ मोइत्रा की याचिका में कहा गया है कि यह आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(ए), 21, 325, 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 तथा निर्वाचक पंजीकरण (आरईआर) नियम, 1960 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। उनकी मुख्य चिंताएं ये हैं:


वोट देने का अधिकार छिनना: याचिका का कहना है कि इस आदेश से देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग वोट नहीं दे पाएंगे, जो असल में वोट देने के हकदार हैं। इससे हमारे लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव पर बुरा असर पड़ेगा।


अजीबोगरीब शर्त: यह पहली बार हो रहा है कि चुनाव आयोग ने उन मतदाताओं से भी अपनी पात्रता साबित करने को कहा है, जिनके नाम पहले से लिस्ट में हैं और जिन्होंने पहले भी वोट दिए हैं।


आधार और राशन कार्ड को न मानना: इस आदेश में आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे आम पहचान पत्रों को मान्यता नहीं दी गई है। इससे मतदाताओं पर बहुत ज़्यादा बोझ पड़ रहा है और उनके लिए ज़रूरी दस्तावेज जुटाना मुश्किल हो रहा है।


गरीबों पर असर: याचिका में यह भी कहा गया है कि यह आदेश खासकर गरीब और कमजोर तबके के लोगों को ज़्यादा प्रभावित करेगा। इसकी तुलना नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीसंस (NRC) से की गई है, जिसकी पहले भी काफी आलोचना हुई है।


जल्दबाजी: आदेश में कहा गया है कि 25 जुलाई, 2025 तक अगर नए फॉर्म जमा नहीं किए गए, तो नाम ड्राफ्ट लिस्ट से हटा दिया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि इतना कम समय देना भी गलत है।