स्टेप अप बिहार फाउंडेशन ने चाणक्य सम्मान समारोह का किया आयोजन,उर्मिला सिंह फाउंडेशन के सफल छात्रों को किया सम्मानित
PATNA : आज तारामंडल के सभागार में चाणक्य सम्मान समारोह 2021 का आयोजन स्टेप अप बिहार फाउंडेशन द्वारा किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु (उर्मिला सिंह फाउंडेशन द्वारा संचालित सुपर 30 से उतीर्ण छात्रों को ) जेई और मेडिकल के परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों को सम्मानित करना है। कार्यक्रम का संचालन प्रताप साहू के द्वारा किया गया। संचालन के दौरान उन्होंने बताया कि बिहार शिक्षा के क्षेत्र में कभी अग्रणी माना जाता था। नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय और अनंतपुरी विश्वविद्यालय समेत ऐसे कई शिक्षण केंद्र हुआ करते थे। जहां दुनिया के अलग-अलग देशों से छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे। वही पूरी दुनिया से सबसे पहले लोकतंत्र की शुरुआत बिहार के वैशाली से हुई थी। बिहार का गौरवशाली इतिहास रहा है। बिहार चाणक्य, आर्यभट्ट, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर, गुरु गोविंद सिंह जैसे महान लोगों की धरती रही है। बता दें कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अमरेंद्र धारी सिंह राज्यसभा सदस्य है। कार्यक्रम में एसएस कॉलेज जहानाबाद के प्रिंसिपल, पटना साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल, पटना हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता समेत अन्य गणमान्य लोगों ने भी हिस्सा लिया।
एसएस कॉलेज जहानाबाद के प्रिंसिपल ने अपने संबोधन में बताया कि उर्मिला सिंह फाउंडेशन के अंतर्गत संचालित सुपर थर्टी द्वारा जहां बच्चों की निशुल्क पढ़ाई और रहने समेत अन्य खर्चों का आवाहन किया जाता है। जब बच्चे सफलता प्राप्त कर अपने जीवन की नई शुरुआत करते हैं तो बिहार का भविष्य ही बदलता है। यह सारे बच्चे बहुत गरीबी और अत्यंत पिछड़ा समाज से तालुकात रखते हैं। उन्होंने उर्मिला सिंह फाउंडेशन के संरक्षक अमरेंद्र धारी सिंह को शुक्रिया कहते हुए कहा कि आप जो यह कार्य कर रहे हैं समाज में एक व्यापक बदलाव की शुरुआत हो चुकी है और आने वाले समय में समाज का एक बड़ा हिस्सा आप से लाभान्वित हो कर अपने जीवन को सुखद और बेहतर बनाने की दिशा में अग्रसर हो सकेगा। दूसरे वक्ता के रूप में राजीव कुमार वरीय अधिवक्ता पटना हाईकोर्ट ने कहा कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की परीक्षाएं आज बहुत ही कठिन हो चुकी है। बच्चे इसकी तैयारी की शुरुआत कक्षा आठ से ही कर देते हैं। उस समय से ही इसको लेकर अत्यंत सीरियस हो जाते हैं और खेलना छोड़ सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई में लगे रहते हैं। इतनी कड़ी मेहनत के बाद जब वह सफलता को प्राप्त होते हैं तो असल मायने में वो खुशी और वो त्याग का महत्व और भी बढ़ जाता है। आज जे ई ई और नीट जैसी परीक्षाएं यूपीएससी के समकक्ष होती दिख रही हैं। इनमें भी जो प्रतिस्पर्धा है वह ऊँचे स्तर की हो चुकी है। अगर कोई भी बच्चा लगातार मेहनत करता है दृढ़ निश्चय के साथ। मेरा विश्वास है कि आने वाले समय में उसके रिजल्ट बहुत ही सुखद और बेहतर होंगे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है और हमें चाहिए कि हम अपने गौरव को बनाए रखें। हम सभी जानते हैं कि भारत का इतिहास सातवीं शताब्दी तक बिहार का ही इतिहास रहा है। बिहार विश्व गुरु की धरती रही है। आर्यभट्ट वात्साययन जैसे महान शिक्षा विद यहां पैदा हुए। उनके कार्य भूमि रही है। आज बिहार में शिक्षा की जो व्यवस्था है उस पर सोचने वाली की सोचने का विषय है। क्योंकि बिहार का एक बहुत ही बड़ा हिस्सा का पैसे दूसरे राज्यों में चला जाता है। समय के साथ चीजें बदल रही हैं लेकिन इसमें और तेजी लाने की जरूरत है। उन्होंने अपने संबोधन में बच्चों से अपील की कि आज अगर आप डटके 4 साल मेहनत कर लेते हैं तो आने वाला 40 साल आपके जीवन का सुख में होने वाला है। उर्मिला सिंह फाउंडेशन के अंतर्गत इन बच्चों ने भी सफलता पाई है। उनसे मुख्य अतिथि ने आग्रह किया कि वह भी जब सक्षम हो जाए तो अपनी ही जैसे गरीब और पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे की तरफ बढ़े। उन्होंने समाज के वैसे लोगों से भी आग्रह किया जो धनाढ्य हैं समृद्ध है। अमरेंद्र धारी सिंह ने कहा कि जितने भी समाज के समृद्ध और धनी लोग हैं वह भी गरीब बच्चे को अपनाएं और अगर वह जितना अपनी शक्ति के हिसाब से पांच 10 बच्चे को पढ़ाने का खर्चा दें। ताकि समाज और भी बेहतर और अच्छा हो सके। आज उर्मिला सिंह फाउंडेशन के अंतर्गत देखा जाए तो जितने भी बच्चे सफल हुए हैं चाहे वह इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हो या मेडिकल के क्षेत्र में हो। सभी ने मेहनत कर यह मुकाम पाई है। आईआईटी रुड़की, पीएमसीएच, एम्स भोपाल, आईटी दिल्ली जैसे नामचीन संस्थानों में हमारे बच्चे पढ़ रहे हैं। यह जानकर में काफी हमें खुशी और गर्व महसूस होता है। बिहार को हमें फिर से शिक्षा का हब बनाना होगा। क्योंकि हमारे बहुत सारे बच्चे उच्च शिक्षा के लिए पुणे बेंगलुरु भोपाल दिल्ली जैसे जगह को जाते हैं। इससे राज्य का बहुत बड़ा राजस्व दूसरे राज्यों को चला जाता है। इस पर गंभीरता से सोचने की जरुरत है। मैं यह सरकार से अपील करता हूं कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार तेजी से बदलाव लाए। जिससे बच्चों का भविष्य और भी सुंदर बेहतर हो।
धन्यवाद ज्ञापन देते हुए पटना साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल ने एक प्रेरक कहानी सुनाइ। जिसमें उन्होंने बताया कि जो हीरा होता है वह कोयले की खान में पाया जाता है। जरूरत है एक तलाशने वाले की। ऐसे ही समाज में सारे बच्चे कहीं ना कहीं हीर ही होते हैं। अमरेन्द्रधारी सिंह और उनकी संस्था उर्मिला सिंह बच्चों को तराशने का कार्य कर रही है। हमें काफी खुशी है कि ऐसे लोग भी आगे आ रहे हैं और शिक्षा के लिए इस सत्र में बड़े बदलाव और बड़ी जरूरतों को आत्मसात कर रहे हैं। उर्मिला सिंह फाउंडेशन के संरक्षण सिंह को उदार और प्रतिभा की पहचान रखने वालों के जैसा बताया और कहा कि अगर बच्चे लगातार निरंतर अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहेंगे तो सफलता दूर नहीं है। उन्हें एक दिन सफलता जरूर प्राप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा की मुझे याद है बायो केमिस्ट्री के लिए पटना विश्वविद्यालय में बहुत कमी हुआ करती थी। वहां पर मूलभूत सुविधाएं भी नहीं थी। लेकिन हमने सरकार से संघर्ष जारी रखा और सरकार इस बात को मानी। आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक पटना विश्वविद्यालय के छात्र हर जगह आपको देखने को मिल जाएंगे और वह अपने क्षेत्र में अव्वल हैं। आज पटना विश्वविद्यालय की जो पुस्तकालय है वर्ल्ड क्लास रेट कर दी गई है। जिससे बच्चों को पढ़ाई के लिए विकास के लिए उपलब्ध हो रही है।