World Students' Day: डॉ. कलाम की 90वीं जयंती पर पूरे देश ने किया उन्हें याद, जानें क्यों आज का दिन है छात्रों-शिक्षकों को समर्पित

N4N DESK: आज जहां देशभर में विजयादशमी और दशहरा को लेकर धूम मची है। वहीं एक और मायने में 15 अक्टूबर का दिन खास है। आज पूरा देश पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती पर याद कर रहा है। डॉ. कलाम एक महान शिक्षक, प्रख्यात वैज्ञानिक और महान राजनेता थे। आम लोगों, विशेष रूप से युवाओं के करीब होने के उनके अद्वितीय गुण के लिए, उन्हें प्यार से 'जनता का राष्ट्रपति' कहा जाता है ।
My humble tributes to former President, Dr APJ Abdul Kalam on his birth anniversary today. Popularly known as #PeoplesPresident, the eminent scientist will always be remembered for his invaluable contribution to strengthening India’s defence & space capabilities. #APJAbdulKalam pic.twitter.com/qFLwSZTGmH
— Vice President of India (@VPSecretariat) October 15, 2021
मिसाइल मैन के रूप में विख्यात देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी को उनकी जयंती पर सादर नमन। उन्होंने अपना जीवन भारत को सशक्त, समृद्ध और सामर्थ्यवान बनाने में समर्पित कर दिया। देशवासियों के लिए वे हमेशा प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। pic.twitter.com/Pn2tF73Md6
— Narendra Modi (@narendramodi) October 15, 2021
‘I will work and sweat for a great vision, the vision of transforming India into a developed nation.’
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) October 15, 2021
I join every Indian in offering my humble tributes to our former President, Bharat Ratna & Missile Man of India, Dr. APJ Abdul Kalam on his birth anniversary. pic.twitter.com/kq25aPqBJ2
आज का दिन छात्रों को है समर्पित
डॉ. कलाम को विशेष रूप से प्रख्यात शिक्षक के तौर पर याद किया जाता है। उनकी दिली ख्वाहिश थी कि उनका निधन पढ़ाते-पढ़ाते ही हो, और असल में हुआ भी ऐसा ही था। भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद, डॉ कलाम अगले ही दिन शिक्षण के लिए वापस चले गए थे। डॉ कलाम शिक्षकों के लिए भी एक आदर्श थे। उनका मानना था कि अच्छे शिक्षक ही महान इंसान बनाते हैं। शिक्षा के प्रति उनका प्रेम इतना था कि जीवन भर सबके बीच शिक्षा बांटते रहे। इसी को लेकर हर साल 15 अक्टूबर को उनके सम्मान में यह दिन ‘विश्व छात्र दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य शिक्षा और छात्रों के प्रति कलाम के प्रयासों को स्वीकार करना है। संयुक्त राष्ट्र ने 2010 में 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में घोषित किया।
डॉ. कलाम मेमोरियल टीचर्स पुरस्कार के लिए 22 शिक्षक चयनित
इसके अलावा डॉ. कलाम के नाम से शिक्षकों को पुरस्कृत भी किया जाता है। इस साल कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षा को बढ़ावा देने में योगदान देने वाले विभिन्न राज्यों के 22 शिक्षकों का डॉ. कलाम मेमोरियल टीचर्स पुरस्कार के लिए चयन किया गया है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सेंटर और डॉ. विखे पटेल फाउंडेशन ने यह जानकारी दी। इस पुरस्कार के लिए 200 आवेदन आए थे। जिनमें से विजेताओं का चुनाव विशेषज्ञों की समिति ने किया। विजेताओं के चयन के लिए चार श्रेणियां थीं- प्राथमिक, माध्यमिक, सरकारी और निजी स्कूल। विजेताओं में राज कुमार पाल (दिल्ली), आर. लालथंगमाविया (मिजोरम), संजय सचदेव (गुजरात) और अलेयम्मा जॉर्ज (केरल) शामिल हैं।
जानें ‘मिसाइल मैन’ के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें
- एपीजे अब्दुल कलाम ने 1998 के पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने पूरी टीम को लीड किया था। भारत के मिसाइल विकास में उनका विशेष योगदान रहा। इसलिए उन्हें मिसाइल मैन कहा जाता है। अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास और संचालन में उनका विशेष योगदान रहा।
- शिक्षा से जुड़े हर कार्यक्रम में वह पहुंचते थे। वह शिक्षा का अधिक से अधिक प्रचार करते थे। अपने संपूर्ण जीवन में उन्होंने करीब 25 किताबें लिखी। इंडिया 2020, विजन फॉर द न्यू मिलेनियम, मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथ विशेष है।
- एपीजे अब्दुल कलाम पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो शाकाहारी और कुंवारे थे। वह देश के 11वें राष्ट्रपति थे। साल 2002 से 2007 तक वे राष्ट्रपति रहे।
- जानकर आश्चर्य होगा कि एपीजे अब्दुल को देश-विदेश के 48 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की उपाधि दी।
- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारत के तीन सर्वोच्च पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। पद्म भूषण -1981, पद्म विभूषण-1990 और भारत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार- भारत रत्न से - 1997 सम्मानित किया गया। भारत रत्न से सम्मानित होने वाले अब्दुल कलाम भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे।
- राष्ट्रपति से पहले वह पीएम के मुख्य सलाहकार भी रह चुके हैं। 1992 से 1999 तक वह मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ सचिव रहे।
- इतने बड़े वैज्ञानिक रहे एपीजे अब्दुल कलाम के घर में कभी टीवी नहीं था। वह हमेशा रेडियो ही सुनते थे।
- एपीजे अब्दुल कलाम की बायोग्राफी, 'विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी' अंग्रेजी में छपी थी। हालांकि यह इतनी प्रसिद्ध हो गई कि चीनी और फ्रेंच सहित 13 भाषाओं में यह किताब छपी।
- अब्दुल मात्र 10 साल की उम्र के थे और वह अखबार बेचा करते थे। वह धर्म से मुसलमान थे लेकिन दिल से धर्मनिरपेक्षतवादी थी। उनके लिए मानवता सभी धर्मों से ऊपर है।