Bihar Education News: शिक्षा विभाग में 6 करोड़ के फर्जी भुगतान की साजिश! तत्कालीन डीईओ पर मेहरबानी के आरोप, विभाग ने साध रखी है मौन
Bihar Education News: शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की एक और चौंकाने वाली कहानी सामने आई है। इस बार मामला जुड़ा है 6 करोड़ रुपये के फर्जी भुगतान की कोशिश से, जिसमें समग्र शिक्षा विभाग के सहायक अभियंता पर गंभीर आरोप लगे हैं।

Bihar Education News: शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की एक और चौंकाने वाली कहानी सामने आई है। इस बार मामला जुड़ा है 6 करोड़ रुपये के फर्जी भुगतान की कोशिश से, जिसमें समग्र शिक्षा विभाग के सहायक अभियंता पर गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि अभियंता ने डीपीओ एसएसए कार्यालय का फर्जी पत्रांक चढ़ाकर BSEIDC को भुगतान के लिए पत्र भेज दिया, जबकि उस पत्रांक से पहले ही एक आधिकारिक पत्र भेजा जा चुका था।
इस गड़बड़ी का भंडाफोड़ होते ही विभाग में हड़कंप मच गया। मोतिहारी जिले में डीपीओ एसएसए ने अभियंता से तीन दिनों में स्पष्टीकरण मांगा और जवाब नहीं मिलने पर रिमाइंडर भी जारी किया, लेकिन अभियंता ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके बाद डीपीओ ने तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) से अभियंता पर एफआईआर दर्ज कराने की अनुमति मांगी, पर डीईओ ने चुप्पी साध ली।
दिनांक 17 मई 2025 को सहायक अभियंता ने समग्र शिक्षा मोतिहारी की ओर से पत्रांक 2261 से एक चिट्ठी भेजी, जिसमें कहा गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के असैनिक योजनाओं का भुगतान किया जाए। इस पत्र के साथ 106 एजेंसियों की सूची संलग्न थी, जिसके आधार पर लगभग 5 करोड़ रुपये का भुगतान होना था।
लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उसी पत्रांक से एक दिन पहले, यानी 16 मई को डीपीओ एसएसए ने मशाल-2024 के लिए प्रधानाध्यापकों को बैठक में भाग लेने का पत्र भेजा था। यानी एक ही पत्रांक दो बार इस्तेमाल हुआ, और यह अपने आप में एक बड़ा फर्जीवाड़ा था।
इतना ही नहीं, पत्र में जेई के स्थान पर भी सहायक अभियंता ने स्वयं के हस्ताक्षर कर दिए, ताकि भुगतान प्रक्रिया में कोई रुकावट न आए। यह भी आरोप है कि यह पूरा षड्यंत्र जिला शिक्षा कार्यालय के एक सीनियर अधिकारी के इशारे पर रचा गया, जिसके तहत बिना स्वीकृति स्कूलों के जीर्णोद्धार की राशि हड़पने की तैयारी थी।
डीपीओ एसएसए द्वारा एफआईआर के लिए भेजे गए पत्र को तत्कालीन डीईओ ने स्वीकृति नहीं दी, जिससे पूरे जिले में चर्चा है कि डीईओ ने सहायक अभियंता पर मेहरबानी दिखाते हुए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। हालांकि, उन्होंने केवल यह आदेश दिया कि जिला शिक्षा समिति की बैठक में लिए गए निर्णय का पालन किया जाए।नए डीपीओ एसएसए की नियुक्ति के बाद अब यह देखना अहम होगा कि क्या वे सहायक अभियंता पर कठोर कार्रवाई करेंगे या पुरानी व्यवस्था की तरह मामला दबा दिया जाएगा।
यह मामला बिहार में शिक्षा विभाग की गंभीर प्रशासनिक विफलता और भ्रष्टाचार के संगठित नेटवर्क को उजागर करता है। यदि समय रहते गंभीर जांच और एफआईआर नहीं की गई, तो यह आने वाले समय में और बड़े घोटाले को जन्म दे सकता है। अब निगाहें जिला प्रशासन और सरकार पर टिकी हैं, कि वे इस मामले में कितनी पारदर्शिता और सख्ती दिखाते हैं।
रिपोर्ट- हिमांशु कुमार