Sita Navami 2025 : अयोध्या स्थित आचार्यपीठ श्री लक्ष्मणकिला में धूमधाम से मनाया गया श्री जानकी जन्मोत्सव, महाआरती सहित कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन
Sita Navami 2025 : अयोध्या स्थित आचार्यपीठ श्री लक्ष्मणकिला में श्री जानकी जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर महाआरती के साथ कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया......पढ़िए आगे
AYODHYA : आचार्यपीठ श्री लक्ष्मणकिला में धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ श्री जानकी जन्मोत्सव मनाया गया। महंत स्वामी मैथिली रमन शरण श्री लक्ष्मणकिलाधीस के कृपा पात्र शिष्य अधिकारी सूर्यप्रकाश शरण के संयोजन में सूर्यप्रकाश शरण ने बताया कि श्री रसिकेन्द्र विहारणी बिहारी जी का अभिषेक पूजन के पश्चात महाआरती हुआ। रात्रि 8 बजे से नित्य बधाई छठ्ठी तक होगी। अधिकारी सूर्यप्रकाश शरण ने बताया की जानकी नवमी का भविष्य पुराण में वर्णन आया है।
व्रत करने का महत्व
कुरुते यो व्रतं सोऽपि पृथ्वीदान फलं लभेत। महाषोडषदानानां यज्ञानां मुनिपुङ्गवा।। प्राप्नोति सर्वतीर्थानां प्राप्नुयात् सकलं फलमं। सर्वभूतदयांकृत्वा फलमाप्नोति यज्जनः। तत्प्राप्नोति व्रतादस्मात् नात्र कार्या विचारणा।। - (श्री भविष्य पुराण) इसका मतलब यह है की जो लोग श्री जानकी नवमीं का व्रत करते हैं उन्हें समस्त पृथ्वी के दान तथा सोलह प्रकार के महादान यज्ञों का फल प्राप्त होता है। समस्त तीर्थों के दर्शन का फल प्राप्त होता है। सभी जीवों पर परोपकार, दया करने का जो फल है। वही फल सीता नवमीं व्रत करने से ही प्राप्त हो जाता है। इसमे कोई संदेह नहीं हैं।
क्या है मान्यता
सूर्यप्रकाश शरण ने कहा की निःसंदेह सीता नवमीं करने से समस्त मनोवांछित फल प्राप्त होंगे। फिर भी इस व्रत को करने का उद्देश्य श्री जानकी और रघुनन्दन दोनों को प्रसन्न करना, इनकी भक्ति - सेवा को प्राप्त करना होना चाहिए। गौरतलब है की हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है। इस दिन को श्री जानकी जन्मोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि मां सीता मिथिला नरेश राजा जनक की पुत्री थीं, इसलिए उन्हें जानकी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख शुक्ल की नवमी तिथि के दिन माता सीता धरती पर प्रकट हुई थीं।